Sarva Pitru Amavasya 2022: आज अपने लोक चले जाएंगे पितर, विधि विधान से उन्हें करें विदा
Sarva Pitru Amavasya 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पितृ विसर्जनी अमावस्या कहा जाता है. इस दिन श्राद्ध पक्ष का समापन होता है और पितृ लोक से आए हुए पितृजन अपने लोक लौट जाते हैं. इस दिन ब्राह्मण भोजन तथा दान आदि से पितृजन तृप्त होते हैं.
नई दिल्लीः Sarva Pitru Amavasya 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पितृ विसर्जनी अमावस्या कहा जाता है. इस दिन श्राद्ध पक्ष का समापन होता है और पितृ लोक से आए हुए पितृजन अपने लोक लौट जाते हैं. इस दिन ब्राह्मण भोजन तथा दान आदि से पितृजन तृप्त होते हैं. जाते समय अपने पुत्र, पौत्रों और परिवार को आशीर्वाद देकर जाते हैं. आश्विन अमावस्या के दिन पितृ पक्ष समाप्त होते हैं इसलिए इस दिन पितरों के पूजन का बड़ा महत्व है.
सर्व पितृ अमावस्या भी कहा जाता है
इस अमावस्या का श्राद्ध पक्ष में अधिक महत्व माना जाता है. पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों का श्राद्ध किया जाता है इसलिए इसे सर्व पितृ अमावस्या भी कहते हैं. मान्यता है कि इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है, जिनकी तिथि भूल चुके हैं.
आज के दिन धार्मिक कर्म-कांड
- इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें.
- इस दिन संध्या के समय दीपक जलाएं. पूड़ी व अन्य मिष्ठान दरवाजे पर रखें. ऐसा इसलिए करना चाहिए, ताकि पितृगण भूखे न जाएं और दीपक की रोशनी में पितरों को जाने का रास्ता दिखाएं.
- यदि किसी वजह से आपको अपने पितरों के श्राद्ध की तिथि याद न हो तो, इस दिन उनका श्राद्ध किया जा सकता है.
- इसके अलावा यदि आप पूरे श्राद्ध पक्ष में पितरों का तर्पण नहीं कर पाए हैं तो इस दिन पितरों का तर्पण कर सकते हैं.
- इस दिन भूले-भटके पितरों के नाम से किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए.
जानिए पितृदोष से मुक्ति के उपाय
जीवन में एक साथ कई सारे दुखों का आना और लंबे समय तक बने रहना पितृ दोष का संकेत हो सकता है. ऐसे में अगर कई कोशिशों के बाद भी राहत नहीं मिल रही है तो ज्योतिष की सलाह लेनी चाहिए.
सर्व पितृ अमावस्या के दिन करें ये सरल उपाय
सर्व पितृ अमावस्या की शाम को एक पीतल के दीपक में सरसों का तेल डालकर दक्षिण दिशा की तरफ रखें. संभव हो तो कोशिश करें कि ये दीपक अमावस्या की पूरी रात जलता रहे. इससे कुंडली में पितृ दोष के प्रभाव कम होते हैं. पितृ दोष हटाने के ये सबसे सरल उपायों में से एक है.
पितृ विसर्जन की शाम को गजेंद्र मोक्ष का पाठ करना चाहिए. इस पाठ को करते समय एक दीपक जला लें और दक्षिण दिशा की ओर मुख करके इसका पाठ करें. पाठ पूरा होने के बाद भगवान विष्णु का स्मरण करें. इतना ही नहीं, घर के पितर और भगवान विष्णु से प्रार्थना करें कि घर से पितृ दोष को दूर करें. इसके बाद पितरों को जलेबी का भोग लगाएं.
भूल-चूक की भरपाई के लिए करें श्राद्ध
सर्व पितृ अमावस्या के दिन भोजन बनाकर पितरों के निमित्त एक पत्तल में रखें. इस भोजन को किसी वृद्ध को खिला दें. अगर वृद्ध को न खिला पाएं तो बबूल या पीपल के पेड़ की जड़ में उस भोजन को रख दें. पेड़ की जड़ में भोजन रखते समय ये प्रार्थना करें कि हे पितृ देव आप यह भोजन खाकर तृप्त हो जाएं और घर से पितृ दोष को दूर करें. ये उपाय करने के बाद पीछे मुड़कर न देखें और वापस अपने घर को आ जाएं.
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