भगवान शिव के ससुर, जिन्हें कहते हैं मानवों का पूर्वज, पढ़ें पवित्र कथा
दक्ष प्रजापति भगवान शिव के ससुर हैं, जो अपनी बेटी का विवाह भगवान शिव से नहीं करना चाहते थे हालांकि, बाद में वह अपनी बेटी की मृत्यु के बाद भगवान शिव के भक्त बन गए और हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार वही मानव जाति के पूर्वज हैं.
नई दिल्ली: हिंदू धर्म में सावन एक शुभ महीना माना जाता है. यह जुलाई और अगस्त के महीने में आता है. भक्त इसे बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं. यहां हम आपको बताएंगे सावन और भगवान शिव के ससुर के बारे में कुछ बातें जिन्हें जानकर आप हैरान रह जाएंगे.
1. भगवान शिव के ससुर
भगवान शिव के ससुर दक्ष प्रजापति हैं. वह सभी प्रजापतियों से सबसे बड़े प्रजापती माने जाते थे जो हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार मानव जाति के पूर्वज हैं. दक्ष को भगवान ब्रह्मा के पुत्र के रूप में भी जाना जाता है.़
2. दक्ष प्रजापति की कहानी
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, दक्ष प्रजापति एक शक्तिशाली राजा और भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे. उनकी सती नाम की एक बेटी थी, जिसे भगवान शिव से प्यार हो गया और उन्होंने अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध शिव जी से विवाह कर लिया. दक्ष इस विवाह से कभी खुश नहीं थे, और उन्होंने एक बार एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया और भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया. अपने पिता के व्यवहार से अत्यंत दुखी होकर सती ने स्वयं को यज्ञ की अग्नि में समर्पित कर दिया. जब भगवान शिव को सती की मृत्यु के बारे में पता चला, तो वे बहुत ज्यादा क्रोधित हो गए, और उन्होनें दक्ष के सिर को काट दिया. परन्तु बाद में शिव जी को अपनी गलती का एहसास होने पर, उन्होंने दक्ष को जीवन वापस कर दिया और दक्ष भगवान शिव का भक्त बन गये.
3. सावन का महत्व
सावन को भगवान शिव का महीना माना जाता है और इस दौरान उनके भक्त व्रत रखते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. भक्त हरे कपड़े पहनते हैं और भगवान शिव को दूध, शहद और अन्य प्रसाद चढ़ाने के लिए मंदिरों में जाते हैं. इस महीने के सोमवार को सबसे शुभ माना जाता है और इस दिन कई लोग व्रत भी रखते हैं.
4.शिवलिंग का महत्व
सावन के दौरान, लोग शिवलिंग पर दूध, शहद और अन्य प्रसाद चढ़ाते हैं और जलाभिषेक करते हैं, जो कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने की रस्म है. ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति भगवान शिव का आशीर्वाद पा सकता है. भारत के कुछ प्रमुख शिवलिंग में उज्जैन महाकाल, सोमनाथ , अमरनाथ है जिन पर सावन के महीने में जमकर भीड़ होती है.
5. समुद्र मंथन की कथा
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार देवताओं और राक्षसों ने अमृत पाने के लिए दूध के सागर का मंथन किया था. मंथन के दौरान समुद्र से घातक विष निकला, जिससे ब्रह्मांड के नष्ट होने का खतरा पैदा हो गया तब शिव जी ने यह विष पीकर धरती को बचाया था.
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