Shani Upay वैदिक ज्योतिष में शनि देव को कर्मों का फल देने वाला और न्याय का देवता कहा जाता है. कुंडली में कमजोर शनि कई तरह की बीमारियों का कारण बनचता है. आपनी धीमी गति और अशुभ प्रकृति के कारण, शनि द्वारा दी गई बीमारियां लंबे समय तक चलने वाली होती है, जो धीरे-धीरे फैलती हैं लेकिन मानव शरीर पर घातक प्रभाव डाल सकती हैं. शनि शीतल और शुष्क ग्रह है और यह जो रोग देता है वह अधिकतर इसी प्रकृति के होते हैं जैसे सर्दी, कफ और दमा आदि.


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शनि के कारण होने वाले रोग
-जन्मजात रोग ज्यादातर शनि के कारण होते हैं. इसके अलावा खराब पाचन से संबंधित रोग भी शनि के कारण होते हैं. 
- शनि हमारे शरीर में हड्डियों पर शासन करता है. गठिया, जोड़ों का दर्द, हड्डी का कैंसर, आदि कुछ सामान्य बीमारियां हैं जिनके लिए शनि जिम्मेदार होता है.
- शनि मांसपेशियों और तंत्रिकाओं पर भी शासन करता है. इसके कारण पार्किंसंस रोग, मल्टीपल स्केलेरोसिस, मूवमेंट डिफेक्ट, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, मायोसिटिस आदि असाध्य रोग हो सकता है.
- ऐसी बीमारियां जो आपको किसी न किसी तरह से अक्षम बना सकती हैं, वे भी शनि के कारण होती हैं. जैसे कुष्ठ रोग, पक्षाघात, मनोभ्रंश, अंग खराब होना, पैर लड़खड़ाना आदि.
- कुंडली में शनि की अशुभ स्थिति के कारण पैरों के असाध्य रोग, मलाशय और आंतों के रोग और कुछ मानसिक रोग भी होते हैं.


इन बातों का रखें ध्यान
एक स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखें और अपने दैनिक जीवन में स्वच्छता पर ध्यान दें.
प्रात: काल पीपल के पेड़ के नीचे 15-20 मिनट बैठकर ध्यान करें.
घर साफ सुथरा और हवादार होना चाहिए. प्रत्येक शनिवार को नमक के पानी से घर की सफाई करें.
शनि के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के लिए प्रत्येक शनिवार को गरीबों को काले तिल, उड़द की दाल और सरसों का तेल दान करें.
शनि के शुभ प्रभाव के लिए प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें.


(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)


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