नई दिल्लीः Sharad Purnima 2022 आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं. वैदिक ज्योतिष के अनुसार, पूरे वर्ष में केवल इसी दिन चंद्रमा सोलह कलाओं का होता है. इससे निकलने वाली किरणें अमृत समान मानी जाती हैं. उत्तर और मध्य भारत में शरद पूर्णिमा की रात्रि को दूध की खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मान्यता है कि चंद्रमा की किरणें खीर में पड़ने से यह कई गुना गुणकारी और लाभकारी हो जाती है. इसे कोजागर व्रत माना गया है. साथ ही इसको कौमुदी व्रत भी कहते हैं.


शरद पूर्णिमा का महत्व जानिए
शरद पूर्णिमा से ही स्नान और व्रत प्रारंभ हो जाते हैं. माताएं अपनी संतान की मंगल कामना के लिए देवी-देवताओं का पूजन करती हैं. इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के बेहद करीब आ जाता है. शरद ऋतु में मौसम एकदम साफ रहता है. इस समय में आकाश में न तो बादल होते हैं और न ही धूल का गुबार. शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्र किरणों का शरीर पर पड़ना बहुत ही शुभ माना जाता है.


आज का पंचांग
अश्विन - शुक्ल पक्ष - पूर्णिमा - रविवार
नक्षत्र - उतरा भाद्रपद  
महत्वपूर्ण योग - ध्रुव योग


चंद्रमा का मीन पर संचरण
आज का शुभ मुहूर्तः सर्वार्थ सिद्ध योग 16:20 बजे तक
आज का राहुकालः 04.29 बजे - 05.55 बजे तक
त्योहारः शरद पूर्णिमा, पूर्णिमा व्रत, वाल्मीकि जयंती, सत्य व्रत


गुप्त मनोकामना पूर्ति के लिए
चांदी के पात्र में आज सुबह आधा दूध, आधा पानी और उसमें थोड़ी सी शहद मिलाकर उत्तर पूर्व दिशा में रख दीजिए. उसी से आज सूर्यास्त के बाद और गोधुली बेला से पहले चंद्रमा को अर्घ्य दे दीजिए. चंद्र देवता के सामने अपनी मनोकामना जरूर कहिए.


यह भी पढ़िए- Aaj Ka Rashifal: जल्दबाजी से बिगड़ेंगे कर्क के काम, जानिए मेष, मिथुन, तुला, मीन का हाल


Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.