नई दिल्ली: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है. कहा जाता है कि जो भी भक्त पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से भगवान शिव के प्रिय प्रदोष व्रत को रखता है. उससे प्रसन्न होकर भगवान शंकर उसकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं. प्रदोष व्रत की तिथि जिस दिन पड़ती है उसे उसी दिन के नाम से बुलाया जाता है.


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इस बार ये तिथि सोमवार को पड़ रही है इसलिए इसे ‘सोम प्रदोष व्रत’ के नाम से जाना जाएगा. सोम प्रदोष व्रत का संबंध चंद्रमा से माना जाता है. इसलिए इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा आदि करने से ग्रहों का अशुभ प्रभाव खत्म होता है. इसके अलावा, व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति भी मजबूत होती है. सावन के महीने में सोम प्रदोष व्रत विशेष महत्व है. सावन महीने में सोम प्रदोष को व्रत रखने से सावन के सोमवार और प्रदोष व्रत दोनो का लाभ भक्तों को प्राप्त होगा.


आज सुबह बेलपत्र, गंगाजल, अक्षत, धूप से भगवान शिव मां पार्वती की पूजा करना करने का विधान बताया गया है. शाम के समय से इसी विधि से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए.


सोम प्रदोष व्रत का महत्व


सोमवार प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष कहते हैं. जो कोई भी व्यक्ति सोम प्रदोष व्रत करता है उसे मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है. सोम प्रदोष व्रत को चंद्र प्रदोषम भी कहा जाता है. इसके अलावा जिन व्यक्तियों की कुंडली में चंद्रमा खराब असर दे रहा होता है, उन्हें सोम प्रदोष व्रत रखने का विधान बताया जाता है. संतान प्राप्ति के लिए सोम प्रदोष व्रत बेहद ही उत्तम माना गया है.


क्या होता है प्रदोष काल?


प्रदोष काल वह समय कहलाता है, जब सूर्यास्त हो चुका हो और रात्रि प्रारंभ हो रही है यानी दिन और रात के मिलन को प्रदोष काल कहा जाता है. इस समय भगवान शिव की पूजा करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है. इस व्रत के करने से आरोग्य और दीर्घ आयु की प्राप्ति होती है. प्रदोष व्रत को करने से हर प्रकार का दोष मिट जाता है.


कैसे करते हैं प्रदोष व्रत पूजन


सोम प्रदोष व्रत करने वाले सूर्योदय के पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं. उगते सूर्य को जल का अर्घ्घ्य दें, उसके बाद अपने पूजा स्थान की साफ-सफाई करके शुद्ध वस्त्र धारण करें और भगवान शिव का पूजन करने के बाद प्रदोष व्रत का संकल्प लें.


उसके बाद शुद्ध जल से शिवजी को स्नान कराएं बाद में पंचामृत से भी उनका स्नान करें. शिवजी को एक बार फिर से शुद्ध जल से स्नान कराएं और फिर वस्त्र, यज्ञोपवीत, चंदन, अक्षत, इत्र, अबीर-गुलाल चढ़ाएं. इसके बाद शिवजी को मंदार, कमल, कनेर, धतूरा, गुलाब के फूल व बेलपत्र अर्पित करें. उसके बाद धूप, दीप, नैवेद्य, ताम्बूल व दक्षिणा अर्पित करके आरती करें और बाद में उन्हें पुष्पांजलि चढ़ाएं.


सायंकाल सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और 45 मिनट बाद का समय प्रदोषकाल होता है. इस समय में सुंदर मंडप सजाकर शिव परिवार की स्थापना करें. विधिवत मंत्रोच्चार के साथ अभिषेक पूजन करें. पांच प्रकार के फलों और मिष्ठान्न का नैवेद्य लगाएं. प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें. शिवजी की आरती करें और प्रसाद बांटें और स्वयं ग्रहण करें.


व्रत के दिन करें इस मंत्र का जाप


विभिन्न धार्मिक शास्त्रों की मानें तो त्रयोदशी की रात के पहले प्रहर में जो व्यक्ति किसी भेंट के साथ शिव प्रतिमा के दर्शन करता है- उसपर भगवान शिव की सदैव कृपा बनी रहती है. अतः प्रदोष व्रत की रात के पहले प्रहर में शिवजी को कुछ न कुछ भेंट अवश्य करना चाहिए . सोम प्रदोष का व्रत अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए किया जाता है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के मंत्र महामृत्युंजय के मंत्र का जाप करें.


मनोकामना की पूर्ति के लिए सोम प्रदोष व्रत को करें यह उपाय -


यदि आपके दांपत्य जीवन में किसी प्रकार की समस्या है, तो आप प्रदोष व्रत के दिन गाय के दूध में केसर और फूल डाले दें और उससे भगवान शिव का अभिषेक करें. इससे पति और पत्नी के बीच संबंध मधुर रहेंगे. उत्तम जीवनसाथी की मनोकामना पूर्ति के लिए भी इस उपाय को कर सकते हैं.


मनोकामना पूर्ति के लिए ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें या फिर पूजा के समय बेलपत्र पर ओम नमः शिवाय लिकर भगवान भोलेनाथ को चढ़ाएं. इस उपाय से आपकी जो भी मनोकामना है, वह शिव कृपा से पूरी होगी.


यदि आप किसी रोग की चपेट में हैं या फिर कोई विकट समस्या है, जिसका समाधान नहीं मिल पा रहा है, तो आप प्रदोष व्रत के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप कराएं.
 ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात्


जमीन-जायदाद या अन्य मामलों से जुड़े कोर्ट केस से आप परेशान हैं, तो प्रदोष व्रत के दिन गंगाजल में अक्षत् मिलाकर भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करें. शिव कृपा से आपकी समस्या का समाधान होगा.


अनजाने भय से डरे हुए हैं, शरीर शक्तिहीन लगता है, आत्मविश्वास की कमी है, तो प्रदोष व्रत के दिन शिव पंचाक्षरी मंत्र ओम नमः शिवाय का 108 बार जप करें. मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष या चंदन की माला का उपयोग करें. आपको लाभ मिलेगा.


आपके परिवार में कलह रहती है या सुख-समृद्धि नहीं हो रही है, तो आप प्रदोष व्रत के दिन पूजा के समय भगवान शिव को जौ का आटा अर्पित करें. फिर उससे रोटी बनाकर किसी बैल या गाय के बछड़े को खिला दें. आपकी मनोकामना पूर्ण होगी.


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