कुंडली में है ये योग, तो पति-पत्नी के संबंधों में आती है दरार, ये ज्योतिष उपाय बचाएंगे वैवाहिक जीवन
जब पति-पत्नी के विचार नहीं मिल पाने के कारण या फिर किसी और वजह से शादी टूटने की नौबत आ जाती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसका संबंध ग्रहों से होता है, जो तलाक जैसी स्थिति उत्पन्न कर देता है.
नई दिल्ली: हिंदू धर्म में लोग वर-वधु के खुशहाल जीवन के लिए कुंडलियों का मिलान करवाते हैं. जिससे की दांपत्य जीवन में किसी तरह की मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़े. जिन लोगों की कुंडली में दोष होता है या तो उस दोष का निवारण किया जाता है या फिर उन जातकों की शादी नहीं करवाई जाती है. लेकिन फिर भी कई बार स्थिति ऐसी हो जाती है जब पति-पत्नी के विचार नहीं मिल पाने के कारण या फिर किसी और वजह से शादी टूटने की नौबत आ जाती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसका संबंध ग्रहों से होता है, जो तलाक जैसी स्थिति उत्पन्न कर देता है.
कुंडली में ये दोष लाते हैं संबंधों में दरार
जिस स्त्री की जन्म कुंडली में लग्न में मंगल या शनि की राशि में शुक्र हो तथा सप्तम स्थान पर पाप प्रभाव हो तो ऐसी स्त्री अपने पति को छोड़कर किसी अन्य के साथ विवाह कर लेती है.
जिसकी कुंडली में सप्तम स्थान में शुभ एवं पाप दोनों प्रकार के ग्रह हों तथा सप्तमेश या शुक्र निर्बल हो तो स्त्री एक पति को छोड़कर दूसरे के साथ विवाह कर लेती है. यदि चंद्रमा एवं शुक्र पाप ग्रहों के साथ सप्तम स्थान में हों तो पति-पत्नी गुप्त रूप से वैवाहिक संबंध तोड़ते हैं.
सप्तम स्थान में सूर्य हो तथा सप्तमेश निर्बल हो तो उस स्त्री को उसका पति छोड़ देता है.
निर्बल पाप ग्रह सप्तम में बैठे हों तो इस योग में उत्पन्न स्त्री को उसका पति छोड़ देता है.
लग्न में राहु एवं शनि हों तो व्यक्ति लोकापवाद से अपनी पत्नी का परित्याग कर देता हैं.
सप्तम स्थान में स्थित सूर्य पर उसके शत्रु ग्रह की दृष्टि हो तो इस योग में उत्पन्न स्त्री को उसका पति छोड़ देता है.
गुरु को विवाह का कारक ग्रह माना गया है. इसलिए अगर आप की कुंडली में गुरु कमजोर है, तो आपको दांपत्य जीवन में परेशानियां आती रहती हैं.
अगर कुंडली में शनि, सूर्य, राहु, 12वें भाव के स्वामी (द्वादशेश) और राहु अधिष्ठित राशि के स्वामी हो तो ऐसे में ये पांच ग्रह रिश्ते को तोड़ने का काम करते हैं. इसके साथ ही किसी दो या अधिक ग्रहों की युति कुंडली के जिस भी भाव में होता है उस भाव को हानि पहुंचाते हैं.
कुंडली में सप्तम भाव और उसका स्वामी का संबंध दाम्पत्य जीवन से होता है, अगर इस भाव में राहु का प्रभाव होतो दाम्पत्य जीवन में परेशानी आती है.
अगर किसी की कुंडली में सप्तमेश जन्म लग्न से 6, 8, 12वें भाव मे हो या सप्तम भाव से 2, 6 या 12वें भाव में हो तो ऐसी स्थिति से वैवाहिक जीवन हमेशा तनाव पूर्वक रहता है.
ये उपाय बचा सकते हैं आपकी शादी
1. पति-पत्नी दोनों को रोज शिवजी के साथ ही मां पार्वती की भी पूजा करनी चाहिए.
2. रोज सुबह पूजा के बाद पत्नी की मांग में लगा सिंदूर पति को लगाना चाहिए. इस उपाय से दोनों के बीच प्रेम बढ़ता है.
3. स्त्री को रोज मां पार्वती की पूजा कर उनको सिंदूर या कुमकुम चढ़ाना चाहिए. पूजा के बाद यही सिंदूर या कुमकुम अपनी मांग में भी लगाना चाहिए.
4. पति को हर शुक्रवार अपनी पत्नी को कोई न कोई उपहार देना चाहिए.
5. कुंडली में जो भी अशुभ ग्रह हैं, उनके उपाय करना चाहिए.
6. हर गुरुवार केले के पौधे की पूजा करने से भी लाभ मिलता है.
7. शिवलिंग पर हल्दी की गांठ चढ़ाकर वैवाहिक जीवन में शांति बनाए रखने की प्रार्थना करें.
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