नई दिल्ली: उत्पन्ना एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. कहते हैं कि उत्पन्ना एकादशी से ही एकादशी के व्रत की शुरुआत हुई थी. इसे कन्या एकादशी  के नाम से भी जाना जाता है. उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पड़ती है.  इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है. कहते हैं कि इस दिन व्रत और श्री हरि की उपासना आदि करने से भक्तों के कष्ट दूर होते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.


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कहते हैं कि एकादशी के दिन व्रत उपवास करने से अश्वमेघ यज्ञ के समतुल्य फलों की प्राप्ति होती है. इतना ही नहीं, ऐसी भी मान्यता है कि एकादशी की रात जागरण करने से भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है. अगर कोई व्यक्ति एकादशी का व्रत शुरु करना चाहता है तो उत्पन्ना एकादशी के दिन से शुरू कर सकते हैं.


उत्पन्ना एकादशी पूजा मुहूर्त
पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 08 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 07 मिनट तक है.


उत्पन्ना एकादशी का महत्व
उत्पन्ना एकादशी व्रत करने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. इस व्रत को करने से पाप नष्ट हो जाते हैं. साथ ही इस दिन दान करने से कई गुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है.


उत्पन्ना एकादशी व्रत विधि
सुबह उठकर व्रत का संकल्प लेकर शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए. इसके बाद भगवान विष्णु की धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह सामग्री से विधि विधान के साथ पूजा करनी चाहिए.


पूरा दिन भजन कीर्तन करते हुए भगवान का ध्यान करना चाहिए. संध्या में दीपदान करने के पश्चात फलाहार ग्रहण करें. उसके बाद अगले दिन सुबह भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करके ब्राह्मण भोज कराना चाहिए. भोजन के बाद ब्राह्मण देवता को क्षमता के अनुसार दान देकर विदा करें.


उत्पन्ना एकादशी को करें ये विशेष उपाय, मां लक्ष्मी होंगी प्रसन्न


मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष के दिन उत्पन्ना एकादशी के दिन जो भी जातक भगवान विष्णु का ध्यान, जप और पूजन करते हैं उनकी मनोवांछित सभी कामनाएं पूरी होती हैं. इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र में कुछ ऐसे उपाय बताए गये हैं जिन्हें इस दिन किया जाए तो मां लक्ष्मी की कृपा से जीवन में धन ही धन मिलता है.
अगर आप भी अपनी मनोवांछति कामनाओं की सिद्धि और मां लक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं तो आज उत्पन्ना एकादशी के मौके पर इन उपायों को जरूर करें-


केसर की खीर का भोग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उत्पन्ना एकादशी के दिन सबसे पहले भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहएि. इसके लएि हो सके तो भगवान विष्णु के मंदिर चले जाएं और वहां उन्हें पीले रंग के किसी भी पुष्प की माला अर्पित करें. इसके बाद केसर की खीर का भोग लगाएं. लेकिन ध्यान रखें कि खीर में तुलसी के पत्ते जरूर डाले गए हों. इसके बाद पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें फिर पेड़ की जड़ में कच्चा दूध चढ़ाकर घी का दीपक जलाकर सच्ची श्रद्धा से पूजा-आराधना करें. मान्यता है कि ऐसा करने से माता लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होती हैं और जातकों की मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति होती है.


निर्जला व्रत और यह काम है जरूरी
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उत्पन्ना एकादशी के दिन निर्जला व्रत यानी कि बिना अन्न-जल ग्रहण किये हुए पूरे दिन व्रत करना चाहिए. इसके लिए सुबह-सवेरे उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर सबसे पहले भगवान विष्णु के सामने जाकर हाथ जोड़कर प्रणाम करें. इसके बाद पूरे दिन निर्जला व्रत रहने का संकल्प लें फरि द्वादशी के दनि ही व्रत तोड़ें. व्रत के दिन सुहागिन स्त्रियों को घर पर आमंत्रित करें और उन्हें फलाहार करवाएं. इसके बाद उन्हें विदा करते समय सुहाग की सामग्री दान में दें.


तुलसी की करें पूजा
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक एकादशी के दिन तुलसी माता की पूजा जरूर करनी चाहएि. इसमें विधि-विधान का विशेष ध्यान रखना चाहएि. सबसे पहले मां तुलसी पर जल चढ़ाएं इसके बाद घी का दीपक जलाकर ‘ ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ मंत्र श्रद्धानुसार 11, 21, 51 या फिर 101 बार जपें और आरती पढ़कर तुलसी की 11 बार परक्रिमा करें.


दक्षिणावर्ती शंख की करें पूजा
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उत्पन्ना एकादशी के दिन दक्षिणावर्ती शंख की पूजा जरूर करें. इसके साथ ही माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा विधि-विधान से जरूर करें. इसके साथ ही जितना हो सके पीले रंग के पुष्प, फल, प्रसाद और वस्त्र अर्पित करके जरूरतमंदों को दान करें. मान्यता है कि ऐसा करने से जातकों के जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती. माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों की कृपा और आशीर्वाद एक साथ मिलता है.



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