Varad Chaturthi 2022: वरद चतुर्थी पर इस मंत्र का करें जाप, पूरी होगी सभी मनोकामना
Vinayak Chaturthi 2022: विनायक चतुर्थी के दिन गणपति जी की पूजा करना शुभ होता है. कहा जाता है कि इस दिन गणेश जी की पूजा करने से जीवन में आ रही विघ्न और बाधाएं दूर हो जाती हैं.
नई दिल्ली. Varad Chaturthi 2022 आज वरद चतुर्थी है. शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को वरद वरद अथवा विनायक चतुर्थी कहा जाता है. भगवान श्री गणेश को प्रसन्न करने के लिए वरद चतुर्थी व्रत किया जाता हैं. वरद या विनायक चतुर्थी के दिन श्री गणेश की पूजा मध्याह्न के समय की जाती है. इस दिन गणेश उपासना से घर में सुख, समृद्धि, वैभव, धन, संपन्नता, बुद्धि एवं वाणी में मधुरता आती है. इस दिन श्री गणेश के मंत्र जाप से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति भी होती है.
वेदों, पुराणों और एवं शास्त्रों में चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश जी की पूजा-उपासना करने का विधान है. यह पर्व हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है. ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा-उपासना करने से व्यक्ति के जीवन से सभी दुखों का अंत होता है. सनातन धर्म में भगवान गणेश की पूजा सबसे पहले की जाती है.
वरद चतुर्थी पूजन विधि
- भगवान गणेश को लाल फूल, माला, अक्षत चढ़ाकर विधि विधान से पूजा करें. गणेश जी के मोदक अत्यधिक प्रिय है. इसीलिए लड्डू का भोग लगाएं. दूर्वा घास समर्पित करें. जिससे भगवान गणेश की कृपा प्राप्त हो.
- वरद चतुर्थी व्रत के बाद गरीबों और ब्राह्मणों में दान करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं. व्रत करने वाले लोगों पर माता लक्ष्मी का आशीर्वाद बढ़ता है. लोगों में आत्मविश्वास की वृद्धि होती है. भगवान गणेश की पूजा करने से कारोबार में सफलता प्राप्त होती है.
- वरद चतुर्थी में भगवान गणेश का नाम लेकर ही व्रत की शुरुआत की जाती है.
- इस दिन सिर्फ फल जड़ अर्थात जमीन के अंदर उगने वाले फल या ऐसी फसल और पौधों के भाग के साथ ही वनस्पति का सेवन किया जाता है.
- व्रत में गणपति पूजन के बाद के बाद चंद्र दर्शन करें और उसके बाद ही उपवास खोलें.
- इस व्रत के बारे में ग्रंथों में लिखा है कि यदि इस दिन विधि-विधान से गणेश जी की पूजा और व्रत किया जाता है तो गणेशजी हर तरह के संकट हर लेते हैं.
इस मंत्र का करें जाप
प्रातर्नमामि चतुराननवन्द्यमानमिच्छानुकूलमखिलं च वरं ददानम्| तं तुन्दिलं द्विरसनाधिपयज्ञसूत्रं पुत्रं विलासचतुरं शिवयो: शिवाय||
प्रातर्भजाम्यभयदं खलु भक्तशोकदावानलं गणविभुं वरकुञ्जरास्यम्| अज्ञानकाननविनाशनहव्यवाहमुत्साहवर्धनमहं सुतमीश्वरस्य||]
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