नई दिल्ली: कार्तिक पूर्णिमा इस साल 15 नवंबर को है. कार्तिक मास को सभी महीनों में बेहद शुभ व फलदायी माना गया है. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान व दान करने से इस पूरे महीने के गए पूजा-पाठ के बराबर फल मिलता है. कार्तिक महीना भगवान विष्णु को अतिप्रिय है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर - जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि कार्तिक मास में भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था. इसी तिथि पर भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार हुआ था. इसे भगवान विष्णु का पहला अवतार माना जाता है. प्राचीन समय में जब जल प्रलय आया था, तब मत्स्य अवतार के रूप में भगवान ने पूरे संसार की रक्षा की थी. कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस तिथि पर शिव जी ने त्रिपुरासुर नाम के दैत्य का वध किया था, इस वजह से इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा कहते हैं. विष्णु पुराण के अनुसार, इस दिन भगवान नारायण ने मत्स्यावतार लिया था. साथ ही इस दिन उपछाया चंद्रग्रहण भी लग रहा है. जो इस दिन महत्व को और अधिक बढ़ाता है. कार्तिक मास की अंतिम तिथि यानी पूर्णिमा पर इस माह के स्नान समाप्त हो जाएंगे. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्नान, दीपदान, पूजा, आरती, हवन और दान-पुण्य करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.


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ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़नी और सुननी चाहिए. जरूरतमंद लोगों को फल, अनाज, दाल, चावल, गरम वस्त्र आदि का दान करना चाहिए. कार्तिक पूर्णिमा पर अगर नदी में स्नान करने नहीं जा पा रहे हैं तो घर ही सुबह जल्दी उठें और पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें. स्नान करते समय सभी तीर्थों का और नदियों का ध्यान करना चाहिए. सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं. जल तांबे के लोटे से चढ़ाएं. अर्घ्य देते समय सूर्य के मंत्रों का जाप करना चाहिए. किसी गौशाला में हरी घास और धन का दान करें. इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाएं. ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें. कर्पूर जलाकर आरती करें. शिव जी के साथ ही गणेश जी, माता पार्वती, कार्तिकेय स्वामी और नंदी की भी विशेष पूजा करें. हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें.


देव दीपावली पर शुभ योग
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्रमा मेष राशि में होकर मंगल के साथ राशि परिवर्तन योग बनाएंगे, साथ ही मंगल और चंद्रमा के एक दूसरे से चतुर्थ दशम होने से धन योग भी बनेगा. इसके साथ ही चंद्रमा और गुरु के एक दूसरे से द्विद्वाश योग होने से सुनफा योग भी बनेगा. वहीं शनिदेव अपनी मूल त्रिकोण राशि में विराजमान हैं इसलिए इस दिन शश राजयोग भी बन रहा है, जो फिर 30 साल के बाद ही बनेगा. ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा पर जो भी उपाय और दान पुण्य के कार्य करेंगे तो आपको उसका 100 गुना अधिक फल मिलेगा.


कार्तिक पूर्णिमा 
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 15 नवंबर को सुबह 06:19 मिनट पर होगी. वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 16 नवंबर को देर रात्रि को 02:58 मिनट पर होगा. ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा का पर्व 15 नवंबर को मनाया जाएगा.


शुभ मुहूर्त
स्नान-दान शुभ मुहूर्त -सुबह 04:58 मिनट से सुबह 5.51 मिनट कर है.
सत्यनारायण पूजा - सुबह 06:44 मिनट से सुबह 10.45 मिनट तक.


Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.


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