करवा चौथ का व्रत क्यों निर्जला ही रखा जाता है? जानें इसके पीछे की पौराणिक कथा
करवा चौथ 20 अक्टूबर यानी रविवार को मनाया जाएगा. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए उपवास रखेंगी. करवा चौथ के दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं और रात्रि को चंद्रमा दिखने के बाद अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं.
नई दिल्लीः Karva Chauth 2024: करवा चौथ 20 अक्टूबर यानी रविवार को मनाया जाएगा. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए उपवास रखेंगी. करवा चौथ के दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं और रात्रि को चंद्रमा दिखने के बाद अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं. जानिए करवा चौथ का व्रत निर्जला ही क्यों रखा जाता है और क्या है इसके पीछे की कथाः
करवा चौथ का मुहूर्त
करवा चौथ का कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखने के बाद छलनी से चांद के दर्श करती हैं. इसके बाद उसी छलनी से अपने पति का चेहरा देखती हैं. इस बार करवा चौथ 20 अक्टूबर को सुबह 6.46 बजे से शुरू होगा और इसका समापन 21 अक्टूबर को सुबह 4.16 बजे होगा. 20 अक्टूबर की ही रात को महिलाएं चांद देखकर व्रत खोल सकेंगी.
करवा चौथ की कथा
करवा चौथ के दिन क्यों निर्जला व्रत ही रखा जाता है? इसके पीछे एक कथा प्रचलित है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, मां गौरी ने सबसे पहले भगवान शिव के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था. उन्होंने पूरे दिन निर्जला व्रत रखा था और फिर रात्रि में चांद को अर्घ्य दिया था. इसके बाद से यही परंपरा चली आ रही है.
एक कथा यह भी है कि देवों और दानवों के बीच युद्ध के दौरान सभी देवियां ब्रह्मदेव के पास पहुंची थीं. उन्होंने अपने-अपने पतियों की रक्षा के लिए उपाय सुझाने को कहा था. तब उन्होंने देवियों को करवा चौथ का व्रत रखने के लिए कहा था. तब से करवा चौथ का व्रत रखने की प्रथा चली आ रही है.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.)
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