नई दिल्लीः कोरोना संक्रमण और इसके बढ़ते प्रकोप को देखते हुए अदालतें संवेदनशीलता और जागरूकता बरत रही हैं. ऐेसे में अदालतों में वर्चुअल सुनवाई हो रही है, साथ ही कोरोना को देखते हुए कई सुरक्षा गाइडलाइन भी जारी की गई हैं. इसी कड़ी में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक और आदेश देकर कोरोना से बचाव के लिए पहल की है. 


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पुलिस और सरकार को दिया आदेश
जानकारी के मुताबिक, दिल्ली हाईकोर्ट ने  दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को आदेश दिया है कि बाल मजदूरी कर रहे बच्चों को छुड़ाए जाने के बाद उन्हें बयान दर्ज कराने के लिए कोर्ट में नहीं ले जाया जाएगा. अब से बच्चों के बयान या तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये दर्ज कराए जाएंगे या फिर खुद मजिस्ट्रेट चाइल्ड होम जाकर बच्चों का बयान रिकॉर्ड कर सकते हैं. 


दाखिल की गई थी जनहित याचिका
हाईकोर्ट ने यह आदेश, 'बचपन बचाओ आंदोलन' की याचिका पर दिया है. इस आदेश के पीछे कोरोना से बच्चों को सुरक्षित रखने के का नजरिया है. दरअसल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कोर्ट को बताया गया था कि दयनीय परिस्थितियों में बाल मजदूरी करने वाले बच्चों को छुड़ाने के बाद उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने 164 के बयान दर्ज कराने के लिए चाइल्ड होम से कोर्ट ले जाया जा रहा है.


दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में दाखिल किए गए अपने हलफनामे में कहा है कि चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के निर्देशों का पालन कर रहे थे. जबकि दिल्ली सरकार ने कहा है कि वह इस बात का पूरा ख्याल रख रही है कि आगे से बच्चों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही बयान दर्ज करवाए जाएं. 


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