नई दिल्ली: देश को कोरोना महामारी के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. सभी धार्मिक कार्यक्रम और अनुष्ठान इस जानलेवा वायरस की वीभत्सता के कारण टालने पड़ रहे हैं. पूरे विश्व में लोकप्रिय भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को भी इस साल मजबूरी में स्थगित करना पड़ा है. रथयात्रा पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर हमने इस साल रथ यात्रा स्थगित नहीं की तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे.


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कोरोना वायरस के कारण रोकी गयी वार्षिक रथ यात्रा


आपको बता दें कि देश की शीर्ष अदालत ने इस वर्ष जगन्नाथ रथ यात्रा पर रोक लगाने का आदेश दिया है. कई दिनों से लोगों में रथ यात्रा के आयोजन को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई थी.  चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने गुरुवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि जनहित और लोगों की सुरक्षा को देखते हुए इस साल रथ यात्रा की इजाजत नहीं दी जा सकती है.



 


सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सम्भव नहीं


सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इतने बड़े आयोजन को करने में लाखों लोगो की भीड़ जुटेगी जिसमें सामाजिक दूरी का पालन करवा पाना सम्भव नहीं है. प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा कि यदि हमने इस साल हमने रथ यात्रा की इजाजत दी तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे. महामारी के दौरान इतना बड़ा समागम नहीं हो सकता है.  बेंच ने ओडिशा सरकार से यह भी कहा कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए राज्य में कहीं भी यात्रा, तीर्थ या इससे जुड़े गतिविधियों की इजाजत ना दें.


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23 जून को होनी थी वार्षिक रथ यात्रा


आपको बता दें कि पहले ये रथ यात्रा इसी महीने 23 जून को होनी निर्धारित की गई थी लेकिन अब इस पर रोक लगा दी गयी है. ओडिशा विकास परिषद नाम के एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी और इस साल रथ यात्रा पर रोक लगाने की मांग की थी. उल्लेखनीय है कि जगन्नाथ पुरी में हर साल रथ यात्रा बड़े धूमधाम से आयोजित होता है और इसमें दुनिया भर से लाखों की संख्या में लोग शामिल होते हैं. ओडिशा में कोरोना वायरस के हजारों की संख्या में मरीज हैं. राज्य में 4338 लोग वायरस से संक्रमित हैं और 11 लोगों की जान जा चुकी है.