आखिर कौन बार-बार देश को कोरोना की आग में झोंकने की कोशिश कर रहा है?
भारत में कोरोना के मरीजों और मृतकों की संख्या अमेरिका और यूरोप की तरह बेतहाशा नहीं बढ़ रही है. लेकिन कोरोना के बहाने अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने वाली लॉबी को ये पसंद नहीं आ रहा है. वो देश में कोरोना की वजह से तबाही होते हुए देखना चाहती हैं. सबसे ताजा कोशिश मुंबई में मजदूरों को भड़का कर की गई. कोरोना के कारोबारियों का हथियार बना है वही गिरोह, जो पहले भी देश में कोरोना फैलाने की कोशिश कर चुका है.
नई दिल्ली: कोरोना संकट के बीच देश में लोगों को भड़काया जा रहा है. जिससे कि वायरस का संक्रमण देश के एक कोने से दूसरे कोने तक हो जाए. मानवता के कौन से खतरनाक कातिल ये साजिश रच रहे हैं, इसपर गंभीरता से जांच होनी जरुरी है. लेकिन जमीनी स्तर पर इन कातिलों के हाथ का मोहरा बनकर कौन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कोशिशों को पलीता लगा रहा है. इसकी तफ्तीश में ज्यादा मेहनत की जरुरत नहीं है.
थोड़ी सी छानबीन से ये साफ हो जाता है कि मुंबई में भी मजदूरों को भड़काने का तरीका बिल्कुल वैसा ही था जैसा कि दिल्ली में आजमाया गया था. आखिर कौन है इसके पीछे? क्या सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए इस तरह की साजिश रची जा रही है?
मुंबई का छुटभैया नेता विनय दुबे इस बार बना मोहरा
जहां देश के प्रधानमंत्री लोगों के हाथ जोड़कर अपील कर रहे हैं कि लोग अपने घरों में रहें और कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकें. लेकिन इसी बीच मुंबई का एक छुटभैया नेता विनय दुबे सामने आता है और अफवाह फैलाता है कि उसने पूर्वी उत्तर प्रदेश जाने के लिए कई बसों का इंतजाम किया है.
उसके इस झूठ पर भरोसा करके 2 से 3 हजार लोगों की भीड़ मुंबई के बांद्रा स्टेशन पर इकट्ठा हो जाती है. लॉकडाउन की धज्जियां उड़ा दी जाती हैं. कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.
एक खास बात ये भी दिखाई देती है कि बांद्रा स्टेशन पर जिन लोगों को घर भेजने के नाम पर इकट्ठा किया गया था. उसमें से ज्यादातर लोगों के पास घर जाने लायक भारी लगेज नहीं थे. क्या वो लोग सिर्फ भीड़ जमा करके लॉकडाउन तोड़ने की नीयत से इकट्ठा हुए थे?
आखिर विनय ने ऐसा किया क्यों?
मुंबई में कोरोना का संक्रमण देश में सबसे ज्यादा है. ऐसे में मुंबई के मजदूर अगर यूपी और बिहार पहुंच जाते तो वहां भी बुरी तरह संक्रमण फैलने का खतरा था. लेकिन सवाल ये है कि विनय दुबे ने ऐसी घातक हरकत की ही क्यों? क्या उसे इसके लिए किसी ने भड़काया था? इस सवाल का जवाब तलाश करने के लिए गहरी छानबीन की जरुरत है.
लेकिन विनय दुबे के सोशल मीडिया अकाउंट के पुराने पोस्ट्स पर नजर डालने से तस्वीर कुछ कुछ साफ होने लगती है.
इन पोस्ट्स से पता चलता है कि विनय दुबे काफी समय से देश विरोधी ताकतों के चंगुल में फंसा हुआ है.
विनय दुबे काफी समय से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित गृहमंत्री अमित शाह जैसे देश के बड़े नेताओं के खिलाफ घटिया मानसिकता दर्शाने वाले पोस्ट करता रहा है.
आखिर विनय दुबे किसके इशारे पर काम कर रहा था? कौन उसे भड़का रहा था?
आरोपी विनय की नजदीकी शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेताओं से बहुत ज्यादा है. उसकी पहुंच उद्धव ठाकरे की सरकार में एऩसीपी के कोटे से गृहमंत्री बने अनिल देशमुख तक है.
दरअसल विनय दुबे की हरकतों और उसके सोशल मीडिया अकाउंट की छानबीन से साफ पता चलता है कि वह राजनीति में अपने पैर जमाने के लिए बेचैन हैं. अपनी इस महत्वकांक्षा को पूरा करने के लिए वह किसी हद तक जा सकता है. देश विरोधी तत्वों ने उसकी इसी जल्दबाजी और मूर्खता का फायदा उठाया.
लेकिन विनय दुबे की इस करतूत का अंजाम बेहद घातक हो सकता था. यूरोप और अमेरिका की हालत इस बात की गवाही देती है.
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दिल्ली में भी हुई थी ऐसी ही साजिश
बांद्रा का खतरनाक षड्यंत्र कोई नया नहीं है. इसके पहले दिल्ली में भी ऐसी ही साजिश का सूत्रपात किया गया था. लॉकडाउन-1 के दौरान दिल्ली की झुग्गियों और बस्तियों में रात के अंधेरे में लाउडस्पीकर से एनाउंस किया गया कि प्रवासियों को ले जाने के लिए आनंदविहार बस टर्मिनल पर बसें खड़ी हैं.
जिसका नतीजा ये रहा कि बांद्रा की ही तरह दिल्ली में भी हजारों प्रवासियों की भीड़ बस स्टैण्ड पर इकट्ठा हो गई. चारो तरफ अफरा तफरी मच गई. ये घटना मार्च के आखिरी हफ्ते की है.
दिल्ली में मजदूरों को किस तरह रात के अंधेरे में भड़काया गया था. इसका वीडियो आप यहां देख सकते हैं-
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बांद्रा की घटना के बाद शक हो गया कि दिल्ली में फिर से मार्च की ही तरह कोरोना फैलाने की साजिश दोहराई जा सकती है.
इसलिए उन्होंने तुरंत वीडियो संदेश जारी करके प्रवासी मजदूरों से अपील की है कि वह किसी के झांसे में नहीं आएं. केजरीवाल ने कहा कि 'लोग अफवाह फैलाने की कोशिश कर सकते हैं। ऐसी किसी भी बात पर आप भरोसा नहीं करना। अभी आपको कोई भी आपके घर नहीं ले जा सकता है। अगर कोई आपको यह बोले की डीटीसी की बस खड़ी है तो इस बात पर विश्वास नहीं करना। कोई भी बस आपको कहीं नहीं ले जा रही है।'
लेकिन मुख्य सवाल अभी भी अनुत्तरित है कि आखिर मजदूरों और प्रवासियों को भड़का कर देश को कोरोना की आग में झोंकने की साजिश रच कौन रहा है?