नई दिल्ली, Lok sabha chunav:  उत्तर प्रदेश में लोकसभा सीट के लिए जारी मतगणना के रुझान फिर से पलट गए है. अब तक के रुझानों के अनुसार ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’(इंडिया) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) पर बढ़त बना ली है. निर्वाचन आयोग की ‘वेबसाइट’ के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश की सभी 80 पर मिले रुझानों में ‘इंडिया’ 42 और राजग 37 सीट पर आगे है. 


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वोटों की काउंटिंग के बाद अखिलेश यादव और राहुल गांधी की जोड़ी भाजपा पर भारी पड़ती दिख रही है. भाजपा के ओवरकॉन्फिडेंस के कारण ही उनके हाथों से कई सीटों निकल चुकी है. भारतीय जनता पार्टी की गलतियां अब उनके सामने आईने की तरह आकर खाड़ी हो गई है. लोकसभा चुनाव में शुरुआती रुझान आने के बाद समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन का जादू चलता दिख रहा है. भाजपा कई सीटों से हाथ धो बैठी है. आज हम भाजपा के उन कारणों की बात करेंगे, जिस कारण बहुत सी सीट उनके हाथों से निकल गई है. 


चल गया अखिलेश का PDA फार्मूला 
उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनावों में भाजपा का बड़ा झटका लगा है. भारतीय जनता पार्टी की सपनों पर पानी फिरता दिख रहा है. शुरुआती रुझानों के मुताबिक  उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को बड़ा फायदा होता दिख रहा है. वहीं जनता का कहना है कि अखिलेश यादव का पीडीए फार्मूला काम कर गया है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, सपा उत्तर प्रदेश में काफी सीटों पर जीत का परचम लहराती नजर आ रही है. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन को 42 सीटों पर मिलती दिख रही हैं और भाजपा को 38 सीटों पर बढ़त देखी जा रही है.


मायावती का कमजोर होना 
पूर्व में हुए कई चुनावों के डाटा के मुताबिक यह देखा गया है कि बसपा का वोटबैंक यानी कि दलित वोटर का वोट भारतीय जनता पार्टी के पास चला जाता है. इसी को देखते हुए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने संविधान बचाने को लेकर काफी बढ़ चढ़कर प्रचार-प्रसार किया था. इस मुद्दे को लेकर अखिलेश और राहुल की जोड़ी काफी हदतक कामियाब भी हुई. वहीं भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेता यह कहते हुए भी सुनाई दिए कि संविधान बदलने के लिए उन्हें संसद में 400 सांसदों की जरुरत है. अब रुझान आने के बाद बीजेपी का यह आईडिया गलत साबित होता दिख रहा है. 


सपा-कांग्रेस की रणनीति आई काम
शुरुआत में चुनाव की तारीख की घोषणा होने के बाद उत्तर प्रदेश में ऐसा लग रहा था कि जैसे भारतीय जनता पार्टी कोई भी पार्टी मुकाबला नहीं कर सकती है. वहीं इस अनुमान को अखिलेश और राहुल की जोड़ी ने गलत साबित करते दिख रहे हैं. दोनों ने रणनीति बनाई और इसके सहारे ही दोनों आगे बढ़े. अब नतीजे वास्तव में चौंकाने वाले हैं.


टिकट कम काटे, पुराने सांसदों की रिपीट किया
भारतीय जनता पार्टी ने इस बार भी पुराने सांसदों पर ही भरोसा जताते हुए उन्हें टिकट दिया. अमेठी से सांसद स्मृति ईरानी करीब 54,000 वोटों से हारती नजर आ रही हैं. केएल शर्मा स्मृति ईरानी को बड़े मतों से पस्त करते दिख रहे हैं. लोगों का यह भी मानना है कि स्मृति ईरानी जमीनी स्तर पर कम ही आती हैं, यह वोटों का अंतर इसी का परिणाम है. पुराने सांसदों पर दुबारा से भरोसा कर भाजपा के हाथों से कई सीट निकलती दिख रही है. 


यौन उत्पीड़न मामले में बृजभूषण पर कार्रवाई न करना
यौन उत्पीड़न मामले में अभियुक्त बृजभूषण शरण सिंह पर कार्रवाई न करने का खामियाजा भुगतना पड़ा है. भले ही भारतीय जनता पार्टी ने बृजभूषण शरण सिंह को टिकट न दिया ही, लेकिन उनके बेटे को चुनाव मैदान में उतारकर बात कारबार कर दी थी. बृजभूषण शरण सिंह पर पहलवानों के यौन उत्पीड़न मामले में कार्रवाई न करना भी  जाट फैक्टर को काफी हद तक प्रभावित किया है. इसके बाद भूषण के बेटे को टिकट देना भी भाजपा का डाउन फॉल शूरू हो गया है.


समाजवादी पार्टी ने जिनको दिए टिकट
लोकसभा चुनाव में सपा के टिकट काफी हद तक बेहतर रहे हैं.  जिस तरह से चुनाव में वोटों की पोटली खुली है, वो वास्तव में चौंकाने वाला रिजल्ट है. समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में दोपहर 1 बजे तक की काउंटिंग के हिसाब से 37 सीट अपने नाम कर चुकी है, जो कही न नहीं भाजपा को कचोटता रहा है.