नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर अबतक के आए रुझानों में आम आदमी पार्टी को शानदार जीत मिलती दिखाई दे रही है. सभी एग्जिट पोल्स में दिल्ली में केजरीवाल सरकार की वापसी हो रही थी. अब Ecject पोल में भी एक सिरे से केजरीवाल की सरकार रिपीट करने की तस्वीर दिखाई दे रही है. आखिर ऐसा क्या हुआ 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सभी 7 सांसद देने वाली दिल्ली अबतक के रुझानों में केजरीवाल को बहुमत देती दिख रही है. इसकी वजह है केजरीवाल की वो रणनीति जिसने सभी पार्टियों खासकर बीजेपी को मुश्किल में डाल दिया.


केजरीवाल की पहली रणनीति


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अरविंद केजरीवाल ने चुनाव प्रचार की शुरुआत बीजेपी की ओर ये सवाल दागते हुए की थी कि बीजेपी में मुख्यमंत्री का चेहरा कौन है? दिल्ली में तो केजरीवाल के नारे की तोड़ बीजेपी के पास नहीं दिखी. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने चुनाव में कहा था कि "दिल्ली में बीजेपी के पास कोई सीएम चेहरा नहीं है- मैं तैयार हूं सीएम कंडिडेट से बहस करने के लिए."


केजरीवाल की दूसरी रणनीति


आम आदमी पार्टी ने शुरू से ही ये साबित करने की कोशिश की कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में बीजेपी से मुकाबला करने के लिए अपने पूरे प्रचार को केजरीवाल के अलावा 'दूसरा कोई विकल्प नहीं है' इसी के इर्द गिर्द रखा.


केजरीवाल की तीसरी रणनीति


आम आदमी पार्टी के सभी विधायकों और नेताओं ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान सरकार के 5 साल के कामों पर ही फोकस रखा. मुफ्त बिजली, पानी, शिक्षा, मोहल्ला क्लीनिक जैसे मुद्दों को ही उठाया. आम आदमी पार्टी ने मुफ्त सेवाओं की गांरटी का वादा कर हर घर में गारंटी कार्ड और रिपोर्ट कार्ड भिजवाया. इससे जनता में संदेश गया कि मुफ्त सेवाओँ अगले 5 साल भी जारी रहेंगी. साथ ही केजरीवाल ने जनता को डर दिखाया कि अगर बीजेपी सत्ता में आई तो मुफ्त सेवाएं बंद कर दी जाएंगी. केजरीवाल ने कहा था कि "ये लोग कह रहे हैं कि मुफ्त सेवाएं दे रहे हैं. आप देख लो इनको वोट दोगे तो मुफ्त सेवा बंद हो जाएगी."


केजरीवाल की चौथी रणनीति


केजरीवाल पूरे चुनाव प्रचार के दौरान शाहीन बाग और राष्ट्रवाद के मुद्दे से बचते रहे. वो वीजेपी के चुनावी चाल में नहीं फंसे. आखिर में उन्होंने हुनमान चालीसा और हनुमान मंदिर जाकर खुद को राम भक्त होने का भी संदेश दिया.


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