Ambedkar Issue: INDIA नहीं छोड़ेगा `अंबेडकर` का मुद्दा, दिल्ली और बिहार चुनाव के लिए मिली `संजीवनी?
Ambedkar Amit Shah Controversy: संसद में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा अंबेडकर पर दिए गए बयान पर सियासत तेज है. इस मुद्दे को बिहार और दिल्ली के विधानसभा चुनाव तक भी खींचा जा सकता है. दोनों ही राज्यों में बड़ी दलित आबादी रहती है.
नई दिल्ली: Ambedkar Amit Shah Controversy: संसद में बीते दिन हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिला. अंबेडकर के मुद्दे पर इंडिया ब्लॉक भाजपा और गृह मंत्री अमित शाह पर लगातार हमलावर है. विपक्ष ने शाह से गृह मंत्री के पद से इस्तीफा दें की मांग भी कर दी है. दूसरी ओर, अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना पक्ष रखा. इसके बाद भी मुद्दा गरमाया हुआ है. अगले साल होने वाले दिल्ली और बिहार के विधानसभा चुनाव तक विपक्ष इस मुद्दे को नहीं छोड़ने वाला.
लोकसभा चुनाव जैसा माहौल बनाने की तयारी
दिल्ली और बिहार बड़ी संख्या में दलित आबादी है. दोनों ही राज्यों में दलित वोटर्स भाजपा के परंपरागत वोटर नहीं रहे. लेकिन हर चुनाव में भाजपा ने इन्हें लुभाने की कोशिश की है. लेकिन जिस तरह से लोकसभा चुनाव में विपक्ष को 'संविधान' वाले मुद्दे से बड़ा फायदा मिला था, ठीक उसी तरह विधानसभा चुनाव में भी 'अंबेडकर' का मुद्दा भुनाने की कोशिश की जाएगी.
दिल्ली चुनाव में कैसे असर डालेगा 'अंबेडकर' का मुद्दा?
अंबेडकर के मुद्दे को सबसे पहले कांग्रेस ने उठाया, लेकिन फिर AAP भी इसे लपकते हुए नजर आई. आम आदमी पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर एक AI वीडियो शेयर किया गया, जिसमें बाबासाहेब केजरीवाल को आशीर्वाद देते हुए नजर आ रहे हैं. AAP और कांग्रेस दिल्ली में एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं, लिहाजा दोनों दल दलित वोटर्स को लुभाना चाहते हैं. दिल्ली में दलित आबादी 16.7 प्रतिशत के आसपास है. 70 में से 12 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. बीते दो चुनाव से आप सभी 12 सीटों पर जीत रही है. इससे पहले 2008 में कांग्रेस ने 9 सीटें जीती. अब कांग्रेस अंबेडकर को अपना बताते हुए फिर से इन सीटों पर अपना कब्जा चाहती है. जबकि आप इन सीटों को बाहर नहीं जाने देना चाहती. भाजपा पहले से इन 12 सीटों पर कमजोर है, अंबेडकर का मुद्दा उठने से चुनौती और बढ़ गई है.
बिहार चुनाव में कैसे असर डालेगा 'अंबेडकर' का मुद्दा?
बिहार में RJD नेता तेजस्वी यादव अमित शाह पर हमलावर हैं. इसके पीछे का कारण है बिहार में 17 फीसदी दलित वोटों का होना. यहां पर 243 में से 38 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. भाजपा के हाथ से यहां पर 2015 में भी सत्ता फिसल गई थी, क्योंकि दलित वोट छिटक गया था. 2015 में मोहन भागवत के आरक्षण वाले बयान से भाजपा को तगड़ा नुकसान हुआ. तब RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने इसे प्रचारित किया कि भाजपा आरक्षण खत्म कर देगी. उसी को रिपीट करते हुए यहां पर भी इंडिया ब्लॉक एक बार फिर मोमेंटम बनाने की भरसक कोशिश करेगा.
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