नई दिल्ली: आगामी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारे में सरगर्मी बढ़ रही है. अखिलेश यादव के साइकिल से नाता तोड़ने के बाद ओम प्रकाश राजभर को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे. इस बीच पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपी राजभर की मुलाकात के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. दरअसल वाराणसी के सर्किट हाउस में दोनों नेताओं ने 25 मिनट तक बंद कमरे में चर्चा की. ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले इस मुलाकात के क्या मायने हैं आपको समझाते हैं.


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क्या फिर बीजेपी के रथ की सवारी करेंगे ओपी राजभर?
योगी और राजभर के मुलाकात की पुष्टि सुभासपा के मुख्य प्रवक्ता और ओपी राजभर के बेटे अरुण राजभर ने की है. उन्होंने इशारों-इशारों में इस बात के संकेत भी दे दिए कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी और सुभासपा के बीच बात बन सकती है. हालांकि गुरुवार की रात सर्किट हाउस में हुई ये मुलाकात महज एक औपचारिकता भी हो सकती है. अरुण राजभर जल्द ही परिवार के साथ लखनऊ जाकर सीएम योगी से आशीर्वाद भी लेंगे.


दरअसल, ओपी राजभर के बेटे अरुण राजभर की शादी में कई दिग्गज बीजेपी नेताओं ने शिरकत की. कई ऐसी तस्वीरें सामने आईं, जिसके बाद सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा तेज होने लगी कि भाजपा और सुभासपा के बीच बात बन सकती है. अरुण की शादी में राजभर ने सीएम योगी को भी आमंत्रण दिया था, लेकिन अपने बिजी शेड्यूल के चलते वो शादी में शिरकत नहीं कर पाए. योगी के प्रतिनिध के रूप में सलाहकार अवनीश कुमार अवस्थी पहुंचे और मुख्यमंत्री की तरफ से बधाई संदेश दिया. गुरुवार की रात जब योगी वाराणसी पहुंचे तो सर्किट हाउस में ओपी राजभर और बेटे अरुण राजभर ने योगी से मुलाकात की. इसी के बाद से सियासी महकमे में खिचड़ी पकने लगी.


मीडिया के सवालों से बचते नजर आए ओपी राजभर
जब ओम प्रकाश राजभर वाराणसी के सर्किट हाउस पहुंचे तो उनसे मीडियाकर्मियों ने सवाल पूछा, जिसपर उन्होंने सीधे शब्दों में कहा कि मुख्यमंत्री से मिलना है. रात के करीब एक बज रहे थे और बंद कमरे में 25 मिनट तक मुलाकात हुई. अब इस मुलाकात में क्या बात हुई, इसे लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. मगर जब पत्रकारों से राजभर का सामना हुआ तो वो सवालों से बचते नजर आए.


अगर भाजपा और सुभासपा के बीच बात बन जाए, तो इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है. आगामी लोकसभा चुनाव से पहले कई सियासी समीकरण बनते-बिगड़ते नजर आएंगे. बीजेपी अपने साथ छोटे दलों को जोड़ने की भरपूर कोशिश करेगी. अखिलेश के साथ विधानसभा के चुनावी मैदान में राजभर ने दमखम दिखाया था, तो बीजेपी के खिलाफ जमकर जहर उगला था. हालांकि सियासत के खेल में नेताओं का बदलना आम है. पूर्वांचल के गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ व बलिया में राजभर की अच्छी खासी पैठ है. ऐसे में बीजेपी को भी अगर समझौता का मौका मिलेगा तो चुनाव से पहले वो सुलह का कोई कसर नहीं छोड़ना चाहेगी.


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