कन्नूर. राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन होने के बावजूद कुछ राज्यों में इंडिया गठबंधन में नोकझोंक की खबरें सामने आती रही हैं. ऐसा ही एक राज्य केरल भी है. इस राज्य में वायनाड लोकसभा सीट पर इंडिया अलायंस की सहयोगी सीपीआई ने राहुल गांधी के सामने अपना प्रत्याशी भी उतार दिया था. इसके बाद भी केरल में सीपीएम और कांग्रेस के बीच नोकझोंक हुई है. अब नया मामला सीनियर कांग्रेस लीडर के. मुरलीधरन के आरोपों से जुड़ा हुआ है. मुरलीधरन ने आरोप लगाया है कि सत्ताधारी सीपीएम अपने प्रभाव वाले कुछ गांवों में विपक्षी नेताओं और मीडिया को एंट्री ही नहीं दे रही है. 


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कानूनी उपाय तलाशेगी कांग्रेस
मुरलीधरन ने मंगलवार को सीपीएम पर राजनीतिक रूप से संवेदनशील कन्नूर जिले के कुछ गांवों में मीडियाकर्मियों और विपक्षी दल के सदस्यों को प्रवेश की अनुमति नहीं देने का आरोप लगाया है. इन गांवों पर पर कथित रूप से वामपंथी पार्टी का नियंत्रण है. मुरलीधरन ने विशेष रूप से कन्नूर जिले के पनूर के पास एक गांव का उल्लेख किया और संकेत दिया कि गांव में प्रवेश से रोके जाने के लिए कांग्रेस इसके खिलाफ कानूनी उपाय तलाशेगी.


सीपीएम के कुछ सीनियर लीडर हैं पीछे?
मुरलीधरन ने आरोप लगाया है कि कन्नूर के कई गांवों  में सीपीएम का नियंत्रण है. कन्नूर जिले के कुछ इलाकों में यही स्थिति है.इस तरह के कदमों के पीछे सीपीएम के कुछ वरिष्ठ नेता हैं.कांग्रेस मीडिया और पार्टी के अन्य सदस्यों के प्रवेश पर कथित तौर पर प्रतिबंध लगाने की ऐसी प्रथाओं के खिलाफ कानूनी कदम उठाएगी.


क्यों अहम माना जा रहा है मुरलीधरन का बयान
बता दें कि मुरलीधरन का यह अहम बयान नौ साल पहले कन्नूर जिले के पनूर के पास देशी बम बनाते समय अपनी जान गंवाने वाले दो व्यक्तियों के सम्मान में एक शहीद स्मारक के आगामी उद्घाटन को लेकर उठे विवाद के मद्देनजर आया है.सीपीएम सरकार ने इसे स्थानीय मुद्दा बताते हुए विवाद को तरजीह नहीं देने की कोशिश की है. सीपीएम को केरल में कांग्रेस की आलोचना का सामना करना पड़ा क्योंकि ऐसी खबरें सामने आईं कि सत्तारूढ़ पार्टी के राज्य सचिव 22 मई को शहीद स्मारक का उद्घाटन कर सकते हैं. 


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