नई दिल्ली: Haryana Vidhan Sabha Chunav: हरियाणा में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. इस बार पार्टी को उम्मीद है कि 10 साल के वनवास के बाद सत्ता सुख भोगने का सुअवसर प्राप्त हो सकता है. प्रदेश के तीन दिग्गज नेता भूपेंद्र हुड्डा, कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला अपने करीबियों को टिकट दिलाने के लिए भागदौड़ कर रहे हैं. तीनों में हुड्डा सबसे पावरफुल माने जा रहे हैं. उन्होंने अब तक अपने 30 से अधिक समर्थकों को टिकट दिलवा दिया. जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, कांग्रेस में खींचतान बढ़ती जा रही है. 


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सैलजा बोलीं- मैं मुख्यमंत्री बनना चाहती हूं
कांग्रेस नेता और सिरसा से लोकसभा सांसद कुमारी सैलजा ने मंगलवार को कहा- 'मैं मुख्यमंत्री बनना चाहती हूं. क्या कोई दलित सीएम नहीं बन सकता, दिक्कत क्या है?' बता दें कि लोकसभा चुनाव के बाद दलित वोटबैंक का झुकाव कांग्रेस की ओर बढ़ा है. अब सैलजा इसी मौके को भुनाने में लगी हैं, वे चाहती हैं कि ऐसे माहौल में पार्टी को दलित चेहरे पर दांव खेलना चाहिए.



सुरजेवाला ने कहा था- मैं भी नेतृत्व करना चाहूंगा
इससे पहले रणदीप सुरजेवाला से भी मुख्यमंत्री बनने को लेकर सवाल किया गया था. उन्होंने जवाब दिया- हर व्यक्ति अपने प्रांत का नेतृत्व करना चाहता है. मैं भी अपने प्रदेश का नेतृत्व करना चाहूंगा. मगर हमारी महत्वाकांक्षा पार्टी के फैसले से बड़ी नहीं है. कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का फैसला सर्वोपरि होगा, पार्टी जो निर्णय लेगी वही मान्य होगा.


हुड्डा कह चुके- न टायर्ड हूं, न ही रिटायर्ड 
 पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने फिर से मुख्यमंत्री बनने के सवाल पर कह चुके हैं कि मैं न तो टायर्ड (थका) हूं और न ही रिटायर्ड हूं. पार्टी CM पद पर फैसला करेगी. हुड्डा के इस बयान से स्पष्ट है कि वे CM रेस से खुद को बाहर नहीं कर रहे हैं.



समर्थकों को निर्दलीय उतारा तो पार्टी को नुकसान
CM पद को लेकर हो रही रस्साकशी के बीच नेता अपने-अपने समर्थकों की जीत के लिए भी प्रयास कर रहे हैं, ताकि उनका नंबर गेम मजबूत रहे. CM पद की चाहत रखने वाले जिन नेताओं के समर्थकों को टिकट नहीं मिला, वे एक समानांतर रास्ता भी खोज सकते हैं. प्रत्याशियों को निर्दलीय उतारकर अपनी पार्टी का प्रत्याशी कमजोर कर सकते हैं, ताकि पार्टी के अंदर ही उनका विरोधी नेता मजबूत न हो. हालांकि, इसका सीधा नुकसान तो पार्टी को ही होगा.


BJP को नजर आ सकती है उम्मीद की किरण
कई लोकल सर्वे ऐसे हैं, जिनमें कांग्रेस को हरियाणा में मजबूत माना जा रहा है. लेकिन कांग्रेस के लिए तब परेशानी खड़ी हो सकती है, जब दोनों दलों के बीच सीटों का अंतर कम रहा. भाजपा ने जिस तरह मध्य प्रदेश और राजस्थान में ऑपरेशन लोटस चलाया था, वैसा हरियाणा में भी देखने को मिल सकता है. मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया कमलनाथ को CM बनाए जाने से नाराज थे, वे अपने समर्थकों के साथ भाजपा में गए और सरकार गिर गई. राजस्थान में भी अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर सचिन पायलट नाराज थे. उन्होंने बगावत की, लेकिन सफल नहीं हो पाए.  


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