नई दिल्ली: Jharkhand Vidhan Sabha Chunav 2024: झारखंड विधानसभा चुनाव के रण में उतरी पार्टियों ने अपनी-अपनी सियासी बिसात बिछाना शुरू कर दी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी (JMM) इंडिया गठबंधन का हिस्सा है. सोरेन के सामने सरकार रिपीट करने की चुनौती होगी. जबकि भाजपा की अगुवाई में NDA राज्य में अपनी सरकार बनाने के लिए जोर-आजमाइश करेगा. झारखंड में 81 सीटों पर दो चरणों में मतदान होना है. इन पर इंडिया गठबंधन की जीत के लिए हेमंत सोरेन ने 40 साल पुराना दांव चला है. हेमंत की ये रणनीति 'लाल-हरा मैत्री' कही जा रही है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

हेमंत सोरेन ने कांग्रेस की गलती से लिया सबक
हरियाणा में हेमंत सोरेन वह गलती नहीं दोहराना चाह रहे जो कांग्रेस ने हरियाणा में की. सोरेन झारखंड में छोटे दलों को तरजीह देते हुए उन्हें गठबंधन का हिस्सा बना रहे हैं, उन्हें लड़ने के लिए सीटें भी ऑफर की जा चुकी हैं. सोरेन ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी लेनिन (भाकपा-माले) को महागठबंधन का हिस्सा बनाया है, उन्हें 4 से 5 सीटें भी दी जा सकती हैं.

1 सीट वाली पार्टी को इतना महत्व क्यों?
भाकपा-माले 2019 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन (JMM, RJD और कांग्रेस) का हिस्सा नहीं थी. तब पार्टी ने अपने दम पर एक सीट जीती थी. लेकिन अब ये माना जा रहा है कि बीते 5 साल में पार्टी मजबूत हुई है. इसके अलावा, सितंबर 2024 में ही झारखंड अलग राज्य आंदोलन में अगुवाई करने वाली ए.के. रॉय की मार्क्सवादी समन्वय समिति (MCC) पार्टी का विलय भाकपा में हुआ है. इस कारण भाकपा की मजबूती बढ़ी है, स्थिति पहले के मुकाबले सुधरी हुई मानी जा रही है. हेमंत सोरेन ने भाकपा-माले के नेताओं से मुलाकात की, जिसकी तस्वीर भी सामने आई है. कई विधानसभा सीटों पर JMM और भाकपा-माले के कार्यकर्ताओं ने संयुक्त बैठक भी कर ली है.

हेमंत का 'लाल हरा मैत्री' फॉर्मूला क्या?
हेमंत सोरेन ने जीत के लिए वही दांव चला है, जो साल 1985 में JMM के तब के नेता शिबू सोरेन (हेमंत सोरेन के पिता) ने चला था. दरअसल, JMM को 1973 में शिबू सोरेन, ए.के. रॉय और बिनोद बिहारी महतो ने ही बनाया था. उससे पहले MCC ही राजनीतिक दल था, तभी JMM की स्थापना दबाव समूह के रूप में हुई. बाद में ये दल चुनावी राजनीति में कूदा. MCC और JMM का वोटर एक ही था, दोनों की विचारधारा भी एक थी, यहां तक कि दोनों पार्टियों के उम्मीदवार भी एक ही सिंबल पर चुनाव लड़ते. तब झारखंड बिहार का ही हिस्सा था. 1985 में अविभाजित बिहार के विधानसभा चुनाव में JMM और MCC ने मिलकर 20 सीटें जीती. तब इस गठजोड़ को 'लाल हरा मैत्री' कहा गया, क्योंकि MCC का झंडा लाल था और JMM का हरा. अब हेमंत सोरेन ने 'लाल हरा मैत्री' वाला दांव 2024 के विधानसभा चुनाव में चला है.

23 नवंबर को आएंगे नतीजे
गौरतलब है कि झारखंड में दो चरणों में चुनाव होने हैं. 13 नवंबर को 43 और 20 नवंबर को 23 सीटों पर मतदान होना है, 23 नवंबर को नतीजे आएंगे. फिलहाल प्रदेश में JMM, कांग्रेस और RJD के गठबंधन वाली सरकार है. 


ये भी पढ़ें- Rajasthan Bypolls: राजस्थान में 7 सीटों पर उपचुनाव, कांग्रेस इन्हें दे सकती है टिकट!


Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.