Jammu Kashmir Voting: मुफ्ती परिवार कश्मीर का `महबूब` रहेगा या नहीं, ये पहला चरण कैसे तय कर देगा?
Jammu Kashmir First Phase Voting: महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा बिजबेहरा विधानसभा सीट से PDP की प्रत्याशी हैं. इस सीट पर आज ही वोटिंग हो रही है. इसके अलावा, PDP का गढ़ कहे जाने वाले दक्षिण कश्मीर में भी आज ही मतदान हो रहा है.
नई दिल्ली: Jammu Kashmir First Phase Voting: जम्मू-कश्मीर में आज 7 जिलों की 24 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हो रही है. पहला चरण ही मुफ्ती परिवार की आगे की सियासत तय करेगा. कश्मीर में जो दो परिवार दशकों से राजनीति में प्रासंगिक बने हुए हैं, उनमें अब्दुल्ला परिवार के बाद मुफ्ती परिवार का ही नाम आता है. कश्मीर में चुनाव वोट तो 90 सीटों पर वोटिंग होनी है, लेकिन महज 24 सीटें ही PDP का भविष्य कैसे तय कर सकती हैं?
मुफ्ती परिवार की तीसरी पीढ़ी मैदान में
मुफ्ती परिवार की तीसरी पीढ़ी अब राजनीति के मैदान में उतर आई है. मुफ्ती मोहम्मद सईद की नातिन और महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा बिजबेहरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं. ये सीट मुफ्ती परिवार का गढ़ है, यहां 1967 से लेकर अब तक बार विधानसभा चुनाव और उपचुनाव हुए. 6 बार मुफ्ती परिवार या PDP के कैंडिडेट ने जीत हासिल की.1996 के बाद से लगातार इस सीट पर पीडीपी ही जीत रही है. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने यहां बशीर अहमद शाह और भाजपा ने सोफी युसूफ को टिकट दिया है. 2014 के चुनाव में यहां PDP के अब्दुल रहमान महज 2868 वोटों से ही जीते थे. 2024 के लोकसभा चुनाव में महबूबा मुफ्ती अनंतनाग सीट से चुनाव हारीं, बिजबेहरा अनंतनाग संसदीय क्षेत्र में ही है. मुफ्ती परिवार की साख बिजबेहरा में दांव पर है.
PDP को बचाना होगा अपना गढ़
पहले चरण में दक्षिण कश्मीर की 4 जिलों की 16 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. इन सभी सीटों पर PDP ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव PDP को सबसे अधिक सीटें इसी इलाके से मिली थीं. इस क्षेत्र को मुफ्ती परिवार का गढ़ भी माना जाता है. आज भले 24 सीटों पर वोटिंग है, लेकिन 2014 के विधानसभा चुनाव में 7 जिलों की 22 सीटों पर ही वोटिंग. इनमें से आधी यानी 11 सीटें PDP ने अकेले जीतीं. इस बार 2 सीटें परिसीमन के बाद बढ़ गईं.
इस बार हारे तो वापसी मुश्किल
PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती पहले की अनंतनाग से लोकसभा चुनाव हार चुकी हैं. अब यदि बेटी भी हार जाती हैं और दक्षिण कश्मीर भी हाथों से निकल जाता है तो मुफ्ती परिवार के नेतृत्व पर सवाल उठ सकते हैं. बीते 25 साल में PDP अपने सबसे नाजुक दौर में हैं, जहां पर पार्टी को जिंदा रखने के लिए मुफ्ती परिवार संघर्ष कर रहा है. महबूबा मुफ्ती ने खुद इसलिए चुनाव नहीं लड़ा, ताकि एक सीट पर फंसकर न रहें और सभी सीटों पर प्रचार कर सकें. 8 अक्टूबर को चुनावी नतीजे आएंगे, तभी पता चलेगा कि मुफ्ती परिवार कश्मीर की सियासत में आगे भी प्रासंगिक बना रहेगा या नहीं.
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