नीतीश को साथ लाने से बीजेपी को क्या फायदा होगा? सामने बस एक परेशानी!
बताया जा रहा है कि भाजपा के केंद्रीय कार्यालय विस्तार में हुई इस उच्चस्तरीय बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं बिहार प्रभारी विनोद तावड़े भी शामिल हुए.
नई दिल्लीः बिहार की राजनीति में मचे घमासान के बीच भाजपा के दिग्गज नेताओं ने लगातार तीसरे दिन दिल्ली में शीर्ष स्तर पर बैठक कर स्थिति और उपलब्ध तमाम विकल्पों पर विस्तार से चर्चा की. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बिहार के राजनीतिक हालात पर महत्वपूर्ण बैठक करके चर्चा की.
कई नेताओं से चल रही चर्चा
बताया जा रहा है कि भाजपा के केंद्रीय कार्यालय विस्तार में हुई इस उच्चस्तरीय बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं बिहार प्रभारी विनोद तावड़े भी शामिल हुए. तावड़े को पार्टी की बैठक के लिए शनिवार को पटना भी पहुंचना है. सूत्रों की मानें तो, बैठक में नीतीश कुमार के एनडीए गठबंधन में वापसी के फ़ॉर्मूले के साथ-साथ इस बात पर भी विचार मंथन किया गया कि एनडीए के वर्तमान सहयोगी दलों को कैसे मनाकर साथ रखा जाए.
बीजेपी के सामने ये मजबूरी
दरअसल, भाजपा आलाकमान आगामी लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी 40 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करना चाहता है. ऐसे में पार्टी का यह मानना है कि नीतीश कुमार के फिर से साथ आने से निश्चित तौर पर एनडीए गठबंधन को फायदा होगा. लेकिन, इसके साथ ही भाजपा चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी जैसे सहयोगियों को भी खोना नहीं चाहती है.
अन्य पार्टियों को एकजुट करना जरूरी
अगर नीतीश कुमार फिर से एनडीए गठबंधन में वापस आते हैं तो भाजपा को यह भी देखना पड़ेगा कि उनकी पूरी पार्टी, खासतौर से उनके पूरे विधायक जेडीयू के साथ बने रहते हैं या नहीं क्योंकि सरकार बनाने के लिए जेडीयू का एकजुट रहना जरूरी है. इससे पहले गुरुवार को भी अमित शाह ने अपने आवास पर पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, बिहार प्रभारी विनोद तावड़े, बिहार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, बिहार के प्रदेश संगठन महासचिव भीखूभाई दलसानिया, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और पूर्व उपमुख्यमंत्री रेणु देवी के साथ लगभग पौने दो घंटे तक बिहार के हालात पर विचार मंथन किया था.
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