UP Election: लखीमपुर कांड की खुल रही परतें, अजय मिश्रा और यूपी चुनाव पर कितना असर?
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी की वारदात को SIT ने सोची समझी साजिश करार दिया है. चुनाव नजदीक है, तो क्या बीजेपी केंद्रीय मंत्रिमंडल में अजय मिश्र टेनी को हटाने का जोखिम लेगी या फिर भाजपा ब्राह्मण वोटबैंक को लेकर किसी नई रणनीति पर काम करेगी. इस रिपोर्ट में चुनावी गणित समझिए..
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश चुनाव से ठीक पहले लखीमपुर खीरी मामले में अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्र की मुसीबत बढ़ती दिख रही है. यूं कहे यूपी चुनाव अब दिलचस्प मोड़ पर जाता दिख रहा है. दरअसल, इस SIT ने अदालत को बताया है कि दरअसल वो वारदात सोची समझी साजिश के तहत पूरी रणनीति के साथ की गई थी.
क्या कहता है चुनावी गुणा-गणित
सवाल ये है कि अगर यूपी पुलिस की एसआईटी लखीमपुर कांड में बड़ी साजिश का इशारा कर रही है तो क्या बीजेपी केंद्रीय मंत्रिमंडल में अजय मिश्र टेनी को हटाने का जोखिम लेगी या वोटबैंक के डर से अजय मिश्र को बनाए रखेगी.
चुनावी गणित तो कहता है कि अगर बीजेपी अजय मिश्र को हटाती है तो संभव है कि बीजेपी को इसका नुकसान उठाना पड़े. क्योंकि अजय मिश्र 2012 से अब तक कोई चुनाव नहीं हारे हैं. 2012 में निघासन विधानसभा सीट, 2014 में खीरी लोकसभा सीट और 2019 में खीरी लोकसभा सीट पर बड़ी जीत दर्ज की है.
तराई के इलाके में बड़े ब्राह्मण चेहरे हैं. एक अनुमान के मुताबिक राज्य के 62 जिलों में ब्राह्मणों की आबादी करीब 8 प्रतिशत है. इनमें 31 जिलों में ब्राह्मणों की जनसंख्या 12 प्रतिशत तक है. लखीमपुर-खीरी, शाहजहांपुर, पीलीभीत, सीतापुर, बहराइच जैसे जिलों में ब्राह्मण वोटर की अच्छी-खासी तादाद है. अजय मिश्र को हटाने से इस वोटबैंक में गलत संदेश भी जा सकता है.
टेनी को मिला था संसद रत्न का सम्मान
बीजेपी शायद ब्राह्मणों को नाराज करने का जोखिम नहीं उठाना चाहेगी. संसद और सरकार में भी अजय मिश्रा टेनी का अच्छा रिकॉर्ड रहा है. इसी साल उन्हें संसद रत्न जैसा सम्मान भी दिया गया था. जो कि संसद में सौ फीसदी मौजूदगी, आचरण, सक्रियता और कार्यक्षमता के हिसाब से दिया जाता है. लेकिन अगर केंद्र सरकार मंत्रिमंडल में अजय मिश्र को बनाये रखती है तो दूसरी चुनौतियां हैं.
वहीं किसानों के मुद्दे पर बीजेपी को नुकसान की आशंका है, क्योंकि अगर लखीमपुर कांड को लेकर राजनीतिक ध्रुवीकरण हो तो लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर, पीलीभीत, सीतापुर, बहराइच जैसे जिलों में बीजेपी को नुकसान हो सकता है.
इन जिलों में बड़ी संख्या में किसान हैं और उनमें 1947 में पाकिस्तान से आए किसानों की बड़ी तादाद भी है. इन 6 जिलों की 42 विधानसभा सीटों में बीजेपी को 2017 में 37 सीटें मिली थीं. एसपी को सिर्फ 4 और बीएसपी को 1 सीट मिल पाई थी. साफ है कि बीजेपी 37 सीटों का जुआ नहीं खेलना चाहेगी.
विपक्षी दल अगर लखीमपुर के मुद्दे पर ध्रुवीकरण करने में कामयाब रहे और इधर अजय मिश्र कैबिनेट में बने रहे तो बीजेपी को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है.
लखीमपुर खीरी केस में अपडेट
लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को बड़ी वारदात हुई थी. किसान आंदोलन के दौरान कार से कुचलकर 5 लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में संगीन आरोप केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र पर लगा था और जांच उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम कर रही थी.
लखीमपुर कांड मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस की एसआईटी के जांच अधिकारी ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को लिखी, चिट्ठी के पहले पैराग्राफ में केस का जिक्र और 13 आरोपियों के नाम-पहचान का ब्योरा है.
लेकिन इस चिट्ठी के दूसरे पैराग्राफ में जांच अधिकारी लिखते हैं कि अब तक की जांच और जमा किये गए सबूतों से पता चलता है कि ये आपराधिक वारदात लापरवाही और नजरअंदाजी में नहीं बल्कि जान बूझकर, प्लान बनाकर किया गया था जिसमें 5 लोगों की जान चली गई, कई लोगों को फ्रैक्चर हुआ और कई जख्मी हुए. इसीलिए इस मुकदमे में नई धाराओं को जोड़ने और पुरानी धाराओं को हटाने की इजाजत दी जाए.
उत्तर प्रदेश पुलिस की एसआईटी के मुताबिक़ इस मुकदमे में अब जो नई धाराएं जोड़ी गई हैं उसमें...
IPC की धारा 307 यानी हत्या के लिए हमले का आरोप
IPC की धारा 326 यानी जान बूझकर घातक हमले का आरोप
IPC की धारा 34 यानी साझा मंशा से अपराध करने का आरोप
आर्म्स एक्ट की धारा 3/25/30 के तहत आरोप
बनते हैं, लिहाजा खीरी जिले में दर्ज अपराध संख्या 219/21 में अब नई सख्त धाराओं के तहत ही जांच की जाएगी. हालांकि एसआईटी को नई धाराएं जोड़ने की इजाजत अदालत से मिलती है या नहीं ये अभी देखने वाली बात होगी.
इस चिट्ठी में जो बातें लिखी गई हैं वो लखीमपुर कांड में अभी तक चल रही जांच और नतीजों को पूरी तरह बदल सकती हैं. इस चिट्ठी के दावे केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी की कुर्सी और उनके बेटे की मुसीबतें भी बढ़ा सकती हैं, क्योंकि सीजन चुनावी है और मुद्दा बड़ा.. देखना होगा कि आने वाली चुनौतियों से भाजपा कैसे निपटती है और विपक्ष इसे चुनाव में कितना भुना पाती है.
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