शिवपाल यादव के लिए भी जरूरी है मैनपुरी का उपचुनाव, जीतने पर सपा बना सकती है नेता प्रतिपक्ष
मैनपुरी का उपचुनाव सपा के लिए साख का सवाल बन गया है. जिस वजह से समाजवादी पार्टी किसी भी हाल में इस उपचुनाव को जीतना चाहती है. इसी के मद्देनजर यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने अपने पुराने मतभेदों को भुलाते हुए चाचा शिवपाल से हाथ भी मिला लिया है.
नई दिल्ली: मैनपुरी उपचुनाव के नतीजे आने में अब केवल एक दिन का ही समय बाकी रह गया है. मैनपुरी का उपचुनाव सपा के लिए साख का सवाल बन गया है. जिस वजह से समाजवादी पार्टी किसी भी हाल में इस उपचुनाव को जीतना चाहती है. इसी के मद्देनजर यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने अपने पुराने मतभेदों को भुलाते हुए चाचा शिवपाल से हाथ भी मिला लिया है.
मैनपुरी तय करेगा शिवपाल का भाविष्य
शिवपाल का सियासी भविष्य मैनपुरी के चुनाव नतीजे पर काफी हद तक टिका है. अगर परिणाम सपा के पक्ष आता है तो शिवपाल को बड़े इनाम के संकेत भी मिल रहे हैं. पार्टी सूत्रों की मानें तो उन्हें नेता प्रतिपक्ष की भूमिका भी मिल सकती है. राजनीतिक पंडितों की मानें तो अगर चुनाव परिणाम सपा के पक्ष में आता है तो कार्यकर्ताओं के टूटे हौसले को उड़ान मिलेगी. साथ ही सपा यह संदेश देने की कोशिश भी करेगी कि उसकी मुस्लिम व यादव मतदाताओं में पकड़ बरकरार है.
घर घर जाकर वोट मांग रही सपा
मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि रही मैनपुरी सीट को बचाने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने किसी तरह की कोई भी गुंजाइश नहीं छोड़ी. डिंपल यादव के नामांकन के बाद से अखिलेश मैनपुरी में डेरा डाले रहे और चाचा शिवपाल यादव के साथ भी अपने सारे गिले-शिकवे दूर कर लिए. बीते चुनाव में एक-दो सभाएं करने वाले सैफई परिवार ने इस बार गांव-गांव की दौड़ लगाई है और घर-घर जाकर वोट मांगे. जानकारों की मानें तो अपना सियासी गढ़ बचाने के लिए अखिलेश को शिवपाल की शरण में जाना पड़ा है. कई बार उनके रिश्ते नरम गरम होते रहे हैं. 2022 के पहले चाचा भजीते एकता की डोर में बंधे थे. लेकिन परिणाम के बाद वह डोर ज्यादा दिनों तक मजबूत नहीं रह सकी. मुलायम के निधन के बाद से परिवार में एका होते देखा गया. फिर चुनाव की घोषणा के बाद अखिलेश चाचा को साधने में कामयाब होते दिखे अब परिणाम बहुत कुछ तय करेंगे.
इस वजह से करीब आए अखिलेश और शिवपाल
सपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि मुलायम के निधन के बाद परिवार में एकता बहुत जरूरी थी. अगर भाजपा से 2024 में कायदे से लड़ना है तो एकता का संदेश देना भी जरूरी था. इसीलिए उपचुनाव से ठीक पहले परिवार के बुजुर्गों, नाते रिश्तेदारों ने चाचा भतीजे को एक करने के लिए पूरी ताकत लगा दी. उधर सपा अपने गढ़ रामपुर और आजमगढ़ में चुनाव हार चुकी है. ऐसे कार्यकर्ताओ में चुनाव जीत कर संदेश देना होगा. यही सोच कर दोनों करीब आ गए हैं.
बहू डिंपल के लिए चाचा शिवपाल ने मांगा वोट
राजनीतिक पंडितों की मानें तो यूपी के नगर निकाय और लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले होने वाले मैनपुरी उपचुनाव पर पूरे देशभर की निगाहें लगी हुई है. सपा मुखिया अखिलेश यादव यह जानते हैं कि मैनपुरी उपचुनाव भी हारने पर उनके लिए आगे की राह आसान नहीं है. इसलिए उन्होंने नाराज चाचा शिवपाल को भी मनाया है. शिवपाल भी पुराने गिले शिकवे भुला कर डिंपल के पक्ष में ताबड़तोड़ सभाएं की और उन्हें जीताने की अपील भी की.
(IANS हिंदी इनपुट)
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