नई दिल्ली: Maneka Gandhi Vs Rajiv Gandhi: अमेठी लोकसभा सीट देश की सबसे चर्चित सीटों में से एक है. यहां से राहुल गांधी सांसद रहे हैं, लेकिन बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी ने बाजी मार ली थी. इस बार फिर से चर्चा हो रही है कि राहुल इस सीट से उतरेंगे या नहीं. वहीं, इस सीट से कांग्रेस की तरफ से वरुण गांधी के उतरने के कयास भी लग रहे हैं. यह सीट सबसे अधिक तब चर्चा में आई थी, जब यहां गांधी परिवार के दो दिग्गज एक दूसरे से टकराए थे. 


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मेनका बनाम राजीव
पूर्व PM इंदिरा गांधी की हत्या के बाद साल 1984 में राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने. दिसंबर 1984 में देश में लोकसभा चुनाव होने थे. तब तक मेनका गांधी और इंदिरा की कलह खुलकर सामने आ चुकी थी. प्रेस के कैमरों में वह तस्वीर भी कैद कर ली गई थी, जब मेनका PM हाउस छोड़कर जा रही थीं. 26 दिसंबर 1984 को आम चुनाव होने थे. राजीव गांधी को एक बार फिर अमेठी से चुनावी मैदान में उतारा गया. तब मेनका ने ‘संजय विचार मंच’ बनाया था. उन्होंने इससे चुनाव लड़ने का ऐलान किया. 


दोनों के प्रति सहानुभूति
इस चुनाव में अमेठी की जनता असमंजस में थी. दोनों ही प्रत्याशियों के पक्ष में सहानुभूति लहर थी. राजीव गांधी की मां की हाल ही में हत्या हुई थी. मेनका गांधी अमेठी के सांसद रहे संजय गांधी की विधवा थीं. लिहाजा, जनता एक ही परिवार के दो सदस्यों के लिए वोट करने वाली थी. 


आखिरकार कौन जीता?
मेनका गांधी को उस वक्त ओजस्वी वक्ताओं में गिना जाता था. उन्हें सुनने के लिए खूब भीड़ आती थी. दूसरी तरफ राजीव गांधी अल्पभाषी व्यक्ति थे, वे सीमित बोलते थे. आख़िरकार राजीव का करिश्मा चल गया. इंदिरा गांधी की हत्या से उमड़ी सहानुभूति की लहर में राजीव यहां से चुनाव जीत गए. जीते भी ऐसे कि मेनका गांधी की जमानत भी जब्त हो गई थी. राजीव गांधी को 3,65,041 वोट मिले, जबकि मेनका को केवल 50,163 वोट ही मिले थे.


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