नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में NDA और INDIA गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर रही. हालांकि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार एक बार फिर बनती दिख रही है. हालांकि संशय यह भी है कि भविष्य में नीतीश कुमार या चंद्रबाबू नायडू में से किसी की भी सियासी चाहत बढ़ी, तो क्या भाजपा इन दोनों के बिना अगले पांच वर्षों तक सरकार में रह पाएगी?
 
समझिए आसान शब्दों में
अगर चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (TDP) भविष्य में NDA का साथ छोड़ देती है तो भी NDA के पास बहुमत से 272 से चार सीटें ज्यादा यानी 276 सीटें होंगी. TDP के अलग होने के बाद भी NDA नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बना सकती है.


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अब आते हैं नीतीश कुमार की पार्टी JDU पर, भविष्य में अगर नीतीश कुमार NDA का साथ छोड़ते हैं तो NDA गठबंधन की सीटें घटकर 280 पर आ जाएंगी. बता दें कि ये सीट भी बहुमत से 8 सीटें ज्यादा हैं. यानी NDA नीतीश कुमार के बिना भी सरकार बनाने में सक्षम रहेगा, लेकिन तब एनडीए सरकार डांवाडोल रहेगी.  


निर्दलियों पर डोरे डाल सकती है बीजेपी
TDP और JDU के अलावा भाजपा को NDA में शामिल दूसरी पार्टियों के 24 सांसदों का भी समर्थन हासिल है, जो बड़ा किरदार अदा करते हैं. वहीं 7 निर्दलीय और 11 छोटे दलों के सांसद जीते हैं. ये सभी सांसद न तो INDIA गठबंधन में हैं और न ही NDA गठबंधन में, लेकिन अगर बीजेपी इनमें से कुछ निर्दलियों और छोटे दलों को समर्थन हासिल करने में कामयाब हो जाती है तो एनडीए और मजबूत हो जाएगा.


हालांकि बीजेपी जरूर इस तरह से सोच रही होगी लेकिन चंद्रशेखर आजाद, पप्पू यादव, अमृतपाल सिंह और राशिद इंजीनियर जैसे निर्दलियों का समर्थन मिलना मुश्किल है. वहीं पप्पू यादव और चंद्रशेखर आजाद जैसे निर्दलीय इंडिया गठबंधन को समर्थन दे सकते हैं.