नई दिल्ली. 'पाकिस्तान को नरेंद्र मोदी ही मुहंतोड़ जवाब दे सकते हैं. राहुल गांधी पाकिस्तान के पास एटम बम होने का हवाला देकर हमें डराते हैं. पाक अधिकृत कश्मीर हमारा है और हम उसे लेकर रहेंगे.' लोकसभा में चुनाव प्रचार के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने यूपी की एक चुनावी रैली में पीओके को लेकर विपक्षी कांग्रेस और सपा पर जमकर निशाना साधा था. अमित शाह का इशारा था कि अगर केंद्र में मजबूत बहुमत की मोदी सरकार आती है तो पीओके को वापस लेने के गंभीर प्रयास किए जा सकते हैं. वहीं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने तो यहां तक दिया था कि सरकार बनने के 6 महीने के भीतर पाक अधिकृत कश्मीर वापस लाया जाएगा. उन्होंने कहा था-'मोदी जी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने दीजिए, अगले 6 महीने के अंदर 'पाक अधिकृत कश्मीर' भी भारत का हिस्सा होगा.'


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चुनाव के बाद बदल गई है तस्वीर, बीजेपी को बदलनी होगी रणनीति
लेकिन अब चुनाव नतीजों के बाद की तस्वीर देखें तो परिस्थितियां बदली हुई हैं. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत का आंकड़ा अकेले छूने के बाद बीजेपी 2024 में 240 की संख्या पर अटक गई है. हालांकि चुनाव पूर्व गठबंधन यानी NDA ने पूरे देश में 292 सीटें हासिल की हैं जो सरकार बनाने के लिए पर्याप्त है. लेकिन इस बीच सोशल मीडिया पर नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को लेकर कई तरह मीम्स वायरल हुए कि वो इंडिया गठबंधन के साथ जा सकते हैं. चंद्रबाबू नायडू ने तो इसका जवाब सार्वजनिक रूप से भी दिया और कहा कि वो पूरी तरह से एनडीए के साथ हैं. लेकिन एनडीए के साथ सरकार बनने के साथ ही यह भी माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी के कुछ वादों और दावों पर रोक भी लग सकती है जिन पर सहयोगी दलों को आपत्ति हो. 


ऐसी ही वायदे हैं वन नेशन-वन इलेक्शन ,समान नागरिक संहिता और पाक अधिकृत कश्मीर को दोबारा अपने कब्जे में लेने का. केंद्र सरकार में बहुमत से थोड़ी दूर खड़ी बीजेपी को सीधे अपने एजेंडे पर दावों के बजाए सहयोगियों से मिलजुल कर किए गए वादों पर काम करना होगा. ऐसी स्थिति में यूसीसी और पीओके का मुद्दा लंबे समय के लिए ठंडे बस्ते में जा सकता है. बीजेपी को भी अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा. देखना होगा कि बीजेपी जिन मुद्दों को जल्द ही पूरा होने वाला बता रही थी, अब उन पर किस तरीके से काम करती है. 


मोदी के भाषण में बड़े निर्णयों के संकेत
हालांकि कम हुई सीटों की संख्या से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चार जून की शाम को बीजेपी कार्यकर्ताओं के संबोधन में बड़े निर्णयों की बात एक बार फिर कही गई है. मोदी ने तीसरे कार्यकाल के लिए अपना दृष्टिकोण रखते हुए कहा कि 'यह बड़े फैसलों का कार्यकाल होगा और मुख्य जोर भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने पर होगा. हमारे तीसरे कार्यकाल में राजग सभी तरह के भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने पर बहुत ध्यान केंद्रित करेगा.' मोदी ने अपने भाषण में लोकसभा में बीजेपी सदस्यों की कम हो रही संख्या का जिक्र नहीं किया, बल्कि विधानसभा चुनावों में और मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, ओडिशा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में लोकसभा चुनावों में भाजपा की शानदार जीत पर अपना ध्यान केंद्रित रखा. 


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