नई दिल्लीः BJP's President Election Candidate: भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित किया है. द्रौपदी मुर्मू झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं. वह ओडिशा की रहने वाली हैं और आदिवासी समुदाय से आती हैं. 


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अगर द्रौपदी मुर्मू चुनाव जीतती हैं तो वह देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति बनेंगी. इस संबंध में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ऐलान किया. इससे पहले प्रतिभा देवी सिंह पाटिल देश की एकमात्र महिला राष्ट्रपति रही हैं. वह साल 2007 से 2012 तक देश के राष्ट्रपति के पद पर रही थीं.



कौन हैं द्रौपदी मुर्मू


बता दें कि द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड की पहली महिला राज्यपाल के रूप में 18 मई 2015 को शपथ ली थी. वह दो बार की विधायक और एक बार राज्यमंत्री के तौर पर काम कर चुकी हैं. द्रौपदी मुर्मू अपने राज्यपाल के कार्यकाल के दौरान कभी विवादों में नहीं रहीं. बताया जाता है कि वह राज्यपाल के पद पर रहते हुए हमेशा आदिवासियों, बालिकाओं के हित की बात करती थीं और सजग रहती थीं. उनका राज्यपाल का कार्यकाल 6 साल 18 दिन का रहा था.


इससे पहले विपक्षी दलों ने मंगलवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति पद के लिए अपना सर्वसम्मत उम्मीदवार घोषित किया, जिसके लिए 18 जुलाई को चुनाव होना है.


कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने संसद एनेक्सी में संयुक्त विपक्षी दलों की बैठक के तुरंत बाद मीडियाकर्मियों से कहा, 'हमने (विपक्षी दलों) ने सर्वसम्मति से फैसला किया है कि यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति चुनाव के लिए हमारे आम उम्मीदवार होंगे.'


शरद पवार ने बुलाई थी बैठक
बैठक को राकांपा के शीर्ष नेता शरद पवार ने बुलाया था और इसमें कांग्रेस, टीएमसी, समाजवादी पार्टी, भाकपा, माकपा, नेशनल कॉन्फ्रेंस और राजद के नेताओं ने भाग लिया था.


उन्होंने कहा, 'सार्वजनिक जीवन में अपने लंबे और प्रतिष्ठित करियर में, सिन्हा ने विभिन्न क्षमताओं में देश की सेवा की है. एक सक्षम प्रशासक, कुशल सांसद, और एक प्रशंसित केंद्रीय वित्त और विदेश मंत्री, वह भारतीय गणराज्य के धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक चरित्र और इसके संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए विशिष्ट रूप से योग्य हैं.'


'आदर्श रूप से, सरकार और विपक्ष के एक सर्वसम्मति उम्मीदवार को गणतंत्र के सर्वोच्च पद के लिए चुना जाना चाहिए. हालांकि, इसके लिए पहल सरकार की तरफ से की जानी चाहिए थी. मोदी सरकार ने इस दिशा में कोई गंभीर प्रयास नहीं किया.'


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