मुंबई: महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है.  राज्यपाल ने महाराष्ट्र में सरकार गठित करने के लिए शिवसेना को 24 घंटे का वक्त दिया था. लेकिन वह तीन दिनों का वक्त मांग रही थी. जिसके बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी थी. उधर कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की बैठक अभी चल ही रही थी. लेकिन अभी तक वो किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाए हैं. बैठक के  बाद शरद पवार और वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने आकर मीडिया को संबोधित किया, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि वह अभी तक कोी फैसला नहीं ले पाए हैं. 



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इसके साथ ही यह भी सूचना है कि शिवसेना ने राज्यपाल के इस कदम का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से इसके लिए संपर्क साधा है. शिवसेना महाराष्ट्र में सरकार बनाने से संबंधित सभी कानूनी पहलुओं पर राय ले रही है. दरअसल शिवसेना इस बात से नाराज है कि उसे राज्यपाल की तरफ से सरकार बनाने मात्र 24 घंटे ही मिले. जबकि उन्होंने तीन दिनों की मांग की थी. 



इसके पहले दिन में भी महाराष्ट्र  में सरकार बनाने के मुद्दे पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की बैठक हुई जिसमें एनसीपी प्रमुख शरद पवार समेत सभी बड़े नेताओं ने शिरकत की. इस बैठक के बाद वरिष्ठ एनसीपी नेता नवाब मलिक ने बाहर आकर बयान दिया कि महाराष्ट्र में सरकार के गठन पर आखिरी फैसला शरद पवार ही करेंगे. कांग्रेस नेताओं के साथ बातचीत करने के बाद ही फैसला किया जाएगा. एनसीपी ने स्पष्ट कर दिया है कि बिना कांग्रेस को भरोसे में लिए किसी तरह का फैसला नहीं किया जाएगा. 



महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर जो देरी हो रही है, उसी वजह से राष्ट्रपति शासन की नौबत आ गई है. दरअसल देरी कांग्रेस की तरफ से हो रही है. जो कि शिवसेना की कट्टर छवि की वजह से उसके साथ जाने से हिचक रही है. वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे सरकार बनाने से पहले कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाने को लेकर बयान दे चुके हैं.



फिलहाल कांग्रेस नेता इसपर कुछ भी कहने से बचते हुए दिख रहे हैं. वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड्गे ने बयान दिया है कि महाराष्ट्र के मसले पर जो भी फैसला होना है वह शरद पवार और सोनिया गांधी मिलकर ही करेंगे.