नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर संसदीय क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी (BSP) के टिकट पर लोकसभा के लिए चुने गए रितेश पांडेय ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से रविवार को त्यागपत्र दे दिया. इसके बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए. उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और अन्य बीजेपी नेताओं की मौजूदगी में बीएसपी सांसद रितेश पांडेय बीजेपी में शामिल हुए.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

 



इससे पहले पांडेय ने बसपा प्रमुख मायावती को लिखे इस्तीफे की प्रति सोशल मीडिया मंच 'एक्‍स' पर साझा की. वह बजट सत्र के दौरान संसद भवन की कैंटीन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लंच करने वाले सांसदों में शामिल थे.


 



मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि रितेश पांडेय को बीजेपी अंबेडकर नगर से टिकट दे सकती है. रितेश के पिता राकेश पांडेय समाजवादी पार्टी से विधायक हैं.


पार्टी की बैठकों में न बुलाने का लगाया आरोप
बसपा प्रमुख को संबोधित पत्र में रितेश पांडेय ने पार्टी से विधायक और फिर सांसद चुने जाने की अपनी राजनीतिक उपलब्धियों की चर्चा करते हुए यह शिकायत की कि 'मुझे लंबे समय से न तो पार्टी की बैठकों में बुलाया जा रहा है और न ही नेतृत्व के स्‍तर पर संवाद किया जा रहा है. मैंने अपने शीर्ष पदाधिकारियों से संपर्क के अनगिनत प्रयास किये लेकिन उनका कोई परिणाम नहीं निकला.'


पार्टी को मेरी सेवा की जरूरत नहीं रहीः पांडेय
पांडेय ने कहा, 'मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि पार्टी को मेरी सेवा और उपस्थिति की अब कोई आवश्यकता नहीं रही, इसलिए प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र देने के अलावा मेरे समक्ष कोई विकल्प नहीं है. पार्टी से नाता तोड़ने का यह निर्णय भावनात्मक रूप से एक कठिन निर्णय है.' 


उन्‍होंने कहा, 'मैं इस पत्र के माध्यम से बहुजन समाज पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र देता हूं और आपसे आग्रह है कि मेरे इस त्यागपत्र को अविलंब स्वीकार किया जाए.'


मायावती ने सिलसिलेवार ढंग से किए पोस्ट
वहीं रितेश पांडे के इस्तीफे के कुछ देर बाद मायावती ने एक्स पर सिलसिलेवार तरीके से पोस्ट किए. हालांकि उन्होंने इसमें रितेश का नाम हीं लिया. उन्होंने लिखा, 'बीएसपी राजनीतिक दल के साथ ही परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान के मिशन को समर्पित मूवमेन्ट भी है जिस कारण इस पार्टी की नीति व कार्यशैली देश की पूंजीवादी पार्टियों से अलग है जिसे ध्यान में रखकर ही चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार भी उतारती है. अब बीएसपी के सांसदों को इस कसौटी पर खरा उतरने के साथ ही स्वयं जांचना है कि क्या उन्होंने अपने क्षेत्र की जनता का सही ध्यान रखा? क्या अपने क्षेत्र में पूरा समय दिया? साथ ही, क्या उन्होंने पार्टी व मूवमेन्ट के हित में समय-समय पर दिये गये दिशा-निर्देशों का सही से पालन किया है?'


उन्होंने आगे लिखा, 'ऐसे में अधिकतर लोकसभा सांसदों का टिकट दिया जाना क्या संभव, खासकर तब जब वे स्वंय अपने स्वार्थ में इधर-उधर भटकते नजर आ रहे हैं व निगेटिव चर्चा में हैं. मीडिया द्वारा यह सब कुछ जानने के बावजूद इसे पार्टी की कमजोरी के रूप में प्रचारित करना अनुचित. बीएसपी का पार्टी हित सर्वोपरि.'


Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.