नई दिल्लीः Tamilnadu Exit Poll 2024, K. Annamalai: एग्जिट पोल में तमिलनाडु में बीजेपी का खाता खुलता दिख रहा है. इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल में एनडीए को 22 फीसदी वोट प्रतिशत मिलता नजर आ रहा है, जबकि 2 से 4 सीटें मिलती दिख रही हैं. इसे दक्षिण के राज्य में बीजेपी के लिए बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है. साथ ही न्यूज 18 के सर्वे में भी एनडीए को 1-3 सीटें मिलने का अनुमान है. 


उलट हो सकती थी तस्वीर


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वहीं डीएमके, कांग्रेस, सीपीएम, वीसीके आदि पार्टियों वाले इंडिया गठबंधन को तमिलनाडु में 33-37 सीटें मिल सकती हैं जबकि एआईएडीएमके गठबंधन को 0-1 सीट मिल सकती है. इसमें भी दिलचस्प बात यह है कि एक्सपर्ट कह रहे हैं कि अगर बीजेपी ने एआईडीएमके के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा होता तो तस्वीर उलट होती. 


AIADMK और BJP अलग लड़ रहे


इस संबंध में एक्सिस माय इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर प्रदीप गुप्ता ने 'आज तक' से कहा, साल 2019 में बीजेपी ने तमिलनाडु की क्षेत्रीय पार्टी एआईएडीएमके के साथ चुनाव लड़ा था. तब बीजेपी ने कम सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन 2024 में बीजेपी और एआईएडीएमके अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी-पीएमके के साथ गठबंधन में लड़ रही है. इसमें से बीजेपी को 14 फीसदी वोट प्रतिशत मिलने का अनुमान है.


'गठबंधन में एनडीए को फायदा होता'


उन्होंने कहा कि अगर 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का एआईएडीएमके के साथ गठबंधन हुआ होता तो एनडीए को तमिलनाडु में काफी फायदा हो सकता था. इंडिया टुडे एक्सिस माय इंडिया ने जो 33 से 37 सीटें इंडिया गठबंधन को दी है वो रिवर्स हो जाती और एनडीए की इतनी सीटें आ सकती थी. क्योंकि इस एग्जिट पोल में एनडीए को 22 प्रतिशत और एआईएडीएमके को 19 फीसदी वोट शेयर मिलता दिख रहा है.


क्यों टूटा AIADMK और BJP गठबंधन


ऐसे में सवाल उठता है कि बीजेपी और एआईएडीएमके के बीच गठबंधन क्यों टूटा? दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन टूटने की एक बड़ी वजह तमिलनाडु बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई की टिप्पणियों को भी बताया गया. वह बीजेपी के फायर ब्रांड नेता हैं जो क्षेत्रीय पार्टियों के दबदबे वाले इस राज्य में सेंध लगाने की कोशिश में लगे हुए हैं और पार्टी नेतृत्व ने उन पर पूरा भरोसा जताया है.


सितंबर 2023 में बीजेपी और एआईएडीएमके का गठबंधन टूट गया था. तब रिपोर्ट्स में कहा गया था कि अन्नामलाई ने सीएन अन्नादुरई पर टिप्पणी की थी. इस पर वरिष्ठ नेताओं ने अन्नामलाई से माफी मांगने को कहा था. साथ ही अन्नामलाई के इस्तीफे की मांग को लेकर भी बीजेपी तैयार नहीं हुई थी. ऐसे में दोनों दल अलग हो गए थे.  


अन्नामलाई ने कहा था कि अन्नादुरई ने 1965 में मदुरै में एक कार्यक्रम में हिंदू धर्म का अपमान किया था. इसके बाद अन्नादुरई को मदुरै में छिपना पड़ा था और माफी मांगने के बाद वे आगे की यात्रा कर सके. इस टिप्पणी को लेकर अन्नामलाई ने माफी मांगने से मना कर दिया था और कहा था कि उन्होंने कुछ बुरा नहीं कहा था. सिर्फ एक घटना का जिक्र किया था.


बीजेपी ने अन्नामलाई पर जताया भरोसा


इसके अलावा एआईएडीएमके नेताओं का मानना था कि अन्नामलाई गठबंधन को आगे नहीं ले जाना चाहते थे. उन्होंने स्थानीय निकाय चुनाव में भी अकेले उतरने का निर्णय किया था. अन्नामलाई की सोच थी कि तमिलनाडु में बीजेपी को आगे बढ़ाने के लिए अकेले लड़ने की आवश्यकता है. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री और एआईएडीएमके की मुखिया जे जयललिता का नाम लिए बिना भ्रष्टाचार को लेकर टिप्पणी की थी. इसके अलावा भी अन्य कारण थे जिनकी वजह से एआईएडीएमके के साथ गठबंधन टूटा था लेकिन इनमें अन्नामलाई की कार्यशैली और टिप्पणियां अहम थी.


इससे एआईएडीएमके काफी नाराज हो गई थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, एआईएडीएमके ने बीजेपी से अन्नामलाई के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन बीजेपी ने इसे नहीं माना. बेशक बीजेपी इसके लिए वर्तमान में कम सीटें झेलने के लिए तैयार हो गई लेकिन उसे राज्य में एक फायर ब्रांड चेहरा जो मिला है वो उस पर भरोसा कायम करना चाहती है.


पीएम मोदी को अन्नामलाई से बड़ी उम्मीद


एग्जिट पोल में इसका असर भी दिख रहा है क्योंकि 2019 में बीजेपी को महज 3.6 फीसदी वोट शेयर मिला था जबकि इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल में अकेले बीजेपी को 14 फीसदी वोट प्रतिशत मिलता नजर आ रहा है. अन्नामलाई ने राज्य में बीजेपी के पैर पसारने के लिए काफी मेहनत की है. खुद पीएम मोदी उनकी तारीफ कर चुके हैं. तमिलनाडु में पीएम की रैली में वह उनके बगल में दिखाई देते हैं. अप्रैल में एएनआई के साथ इंटरव्यू में पीएम ने कहा था कि अन्नामलाई बहुते अच्छे नेता हैं. वह युवाओं को आकर्षित कर रहे हैं. उन्हें (पीएम को) लगता है कि अगर अन्नामलाई के लिए पैसा और भ्रष्टाचार महत्व रखता तो वह डीएमके में जा सकते थे. 


पीएम मोदी ने कहा कि वह स्पष्टवादी हैं. आईपीएस कैडर की नौकरी छोड़ी. कई सोचते हैं कि उन्होंने इतना बड़ा करियर छोड़ दिया और बीजेपी में शामिल हो गए. वह डीएमके में गए होते तो बन गए होते. लेकिन वह नहीं गए. वह बीजेपी में आए क्योंकि उन्हें पार्टी पर भरोसा है. 


अन्नामलाई पर बीजेपी नेतृत्व की ओर से अटूट विश्वास जताने की एक वजह यह भी है कि 2022 के स्थानीय निकाय चुनाव में पार्टी ने निगर निगम में 22, नगरपालिकाओं में 56 और नगर पंचायतों में 230 सीटें हासिल की थीं. भले ही पार्टी ने कम सीटें पाईं लेकिन यह प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा. 


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