नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश चुनाव से ठीक पहले ब्राह्मण वोट को आकर्षित करने की सियासत जारी है. यूपी की राजधानी लखनऊ में भाजपा ने परशुराम की प्रतिमा का अनावरण किया. मूर्ति का अनावरण करने के बाद डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा है कि कुछ लोग चुनावी हिन्दू बनते हैं.


यूपी चुनाव में परशुराम से बनेगा काम?


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22 की लड़ाई में दूसरे से 21 होना है तो हर वर्ग के मतदाता पर नजर रखना जरूरी है. खासतौर पर सूबे के 12 फीसदी ब्राह्मण मतदाता पर.. क्योंकि यूपी में जब भी जिस पार्टी की सरकार बनी. उसमें ब्राह्मण मतदाता की भूमिका काफी अहम रही है.


यही वजह है कि सभी राजनीतिक दल ब्राह्मण मतदाता को अपने पाले में लाने की जुगत में जुटे हैं. इसके लिए तरह-तरह के हथकंडे भी अजमाए जा रहे हैं.


कोई परशुराम की मूर्ति लगवा रहा है, तो कोई प्रबुद्ध सम्मेलन कर रहा है, तो कोई अपनी पार्टी से बड़े ब्राह्मण चेहरों को जोड़ रहा है. लेकिन सवाल ये है कि 22 में ब्राह्मण मतदाता का रुख किधर रहता है और क्या परशुराम के नाम पर ब्राह्मण वोटर वोट करेगा और अगर हां तो यूपी में इस बार परशुराम किसका बनाएंगे काम?


यूपी चुनाव में क्यों अहम हैं ब्राह्मण?


आपको यहां समझने की जरूरत है कि उत्तर प्रदेश में आखिरकार ब्राह्मण मतदाता क्यों अहम हैं? एक अनुमान के अनुसार प्रदेश में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या करीब 12% है. आजादी से 1989 तक 6 बाह्मण सीएम बने.


2007 में BSP के 41 ब्राह्मण विधायक बने. 41 ब्राह्मण MLA के साथ मायावती CM बनीं. 2012 में SP के 21 ब्राह्मण MLA चुनाव जीते. 21 ब्राह्मण MLA के साथ अखिलेश CM बने.


2017 में BJP के टिकट पर 46 ब्राह्मण MLA बने. 46 ब्राह्मण MLA के साथ BJP की सरकार बनी. 2017 विधानसभा चुनाव में 56 ब्राह्मण MLA जीते.


भाजपा के काम पर सपा को आया गुस्सा


डिप्टी सीएम ने लखनऊ में भगवान परशुराम की मूर्ति का अनावरण किया, तो समाजवादी पार्टी ने पूछा है कि 'क्या बीजेपी ने ले रखा है धर्म का ठेका?' 



इसमें कोई दो राय नहीं है कि मिशन यूपी में जुटे सभी दल ब्राह्मण मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में जुटे हैं. आपको ये भी समझना चाहिए कि किस दल की क्या-क्या रणनीति है.


किस दल की क्या रणनीति?


यदि बीजेपी की बात करें तो ब्राह्मण नेता, मंत्रियों की कमेटी बनाई गई है. कमेटी बताएगी ब्राह्मणों के लिए क्या किया. ब्राह्मणों की नाराजगी दूर करने पर काम किया जा रहा है. 300 से ज्यादा सीटों पर ब्राह्मण सम्मेलन कराने की योजना है. लखनऊ में परशुराम की मूर्ति लगवाई गई.


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वहीं समाजवादी पार्टी ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर परशुराम की मूर्ति लगवाई है. इसके साथ ही लगातार कई ब्राह्मण चेहरों को पार्टी में जगह दी जा रही है. प्रबुद्ध सम्मेलन का आयोजन किया.


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बहुजन समाज पार्टी यानी बसपा भी ब्राह्मणों को साथ लाने की कोशिश में जुटी हुई है. यूपी के 18 मंडलों में ब्राह्मण सम्मेलन करा रही है. पार्टी के ब्राह्मण चेहरे को जिम्मेदारी दी गई है. सतीश चंद्र मिश्र ने 50 से ज्यादा सभाएं की.


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