Rampur By Election: आजम के आसिम को आकाश ने चटाई धूल, कर दिया 40 साल के सियासी युग का अंत
आकाश सक्सेना रामपुर जिले की स्वार सीट से पूर्व विधायक और प्रदेश के पूर्व राज्य मंत्री शिव बहादुर सक्सेना के बेटे हैं. उन्होंने इस बार `50 साल बनाम 50 महीने` का सूत्र लेकर चुनाव लड़ा था.
रामपुर: रामपुर सदर विधानसभा क्षेत्र में चुनावी बिसात बदलने के साथ ही सालों पुराना रिवाज भी बदल गया और भाजपा ने आजम खां का 40 साल पुराना सियासी वर्चस्व तोड़कर पहली बार इस क्षेत्र में परचम लहरा दिया.
भाजपा के आकाश सक्सेना ने रचा इतिहास
भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना ने खां के करीबी माने जाने वाले सपा उम्मीदवार आसिम राजा को 33702 मतों से हराकर पहली बार यह सीट भाजपा के नाम दर्ज करा दी. आजम खान करीब 45 साल बाद रामपुर के किसी चुनाव में उम्मीदवार के तौर पर खड़े नहीं थे, लेकिन यह चुनाव भाजपा बनाम आजम खां के तौर पर ही लड़ा गया.
उपचुनाव मतगणना के दौरान आसिम राजा 19वें चक्र तक करीब साढ़े सात हजार मतों से आगे रहे, लेकिन 21वां चक्र आते-आते भाजपा उम्मीदवार सक्सेना ने करीब 12000 मतों से बढ़त बना ली. इसके बाद वह कभी नहीं पिछड़े.
जानिए कौन हैं आकाश सक्सेना
आकाश सक्सेना रामपुर जिले की स्वार सीट से पूर्व विधायक और प्रदेश के पूर्व राज्य मंत्री शिव बहादुर सक्सेना के बेटे हैं. उन्होंने इस बार '50 साल बनाम 50 महीने' का सूत्र लेकर चुनाव लड़ा था. वह अपनी लगभग हर चुनावी सभा में कहते थे कि रामपुर की जनता ने अगर आजम खां को 50 साल दिये हैं तो इस उपचुनाव में उन्हें 50 महीने देकर देखें. रामपुर सदर विधानसभा सीट के चुनावी इतिहास को देखें तो इससे पहले कभी यहां भाजपा का कोई उम्मीदवार नहीं जीता था.
रामपुर में 40 साल विधायक रहे आजम
इस सीट पर पिछले करीब 40 साल से आजम खां ही विधायक रहे. उससे पहले यहां कांग्रेस का वर्चस्व रहा. रामपुर सदर सीट आजम खां को नफरतभरा भाषण देने के मामले में पिछले महीने तीन साल की सजा सुनाए जाने के कारण उनकी सदस्यता निरस्त होने के चलते रिक्त हुई थी, जिस पर उपचुनाव के तहत पिछली पांच दिसंबर को मतदान हुआ था.
हालांकि, सपा ने उपचुनाव में पुलिस तथा प्रशासन पर धांधली और सपा समर्थक मतदाताओं को वोट डालने से जबरन रोकने का आरोप लगाते हुए बुधवार को चुनाव आयोग को पत्र लिखा था, जिसमें उसने रामपुर विधानसभा उपचुनाव को निरस्त कर फिर से मतदान कराने की मांग की थी. इस उपचुनाव में आजम खां भले ही उम्मीदवार नहीं हों, लेकिन रामपुर का यह उपचुनाव पूरी तरह से आजम खां के इर्द-गिर्द घूमता रहा.
आजम खां ने खुद संभाला था मोर्चा
सपा उम्मीदवार आसिम राजा के चुनाव प्रचार की कमान पूरी तरह आजम खां के हाथ में रही और चुनावी सभाओं में वह ही मुख्य वक्ता के रूप में शामिल रहे. आजम खां ने राजा की चुनावी सभाओं में खुद पर हुए जुल्म-ज्यादती का जिक्र करके भावनात्मक अपील के जरिए जनता से वोट मांगे थे. रामपुर से आजम खान के लिए यह लगातार दूसरा झटका है, इससे पहले इसी साल जून में हुए रामपुर लोकसभा उपचुनाव में भी भाजपा प्रत्याशी घनश्याम लोधी ने सपा उम्मीदवार आसिम राजा को करीब 46 हजार मतों से हराया था. हालांकि, उस वक्त भी रामपुर सदर विधानसभा क्षेत्र से सपा को ही करीब साढ़े सात हजार मतों से बढ़त मिली थी.
रामपुर में कैसा रहा आजम का सियासी सफर
रामपुर सदर विधानसभा सीट पर भाजपा की जीत इस मायने में भी अहम है कि यहां वर्ष 1980 से ही आजम खां का कब्जा रहा. वह वर्ष 1980 में जनता पार्टी सेक्युलर के टिकट पर पहली बार रामपुर सदर से चुनकर विधानसभा पहुंचे थे. उसके बाद 1985 में लोकदल, 1989 में जनता दल, 1991 में जनता पार्टी और 1993 में समाजवादी पार्टी के विधायक चुने गए. हालांकि, वर्ष 1996 के विधानसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस के अफरोज अली खां से पराजय का सामना करना पड़ा, लेकिन वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में आजम खां ने फिर रामपुर सदर सीट पर कब्जा जमा लिया.
उसके बाद वर्ष 2007, 2012, 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर आजम खां ही विधायक रहे. वर्ष 2019 में रामपुर लोकसभा चुनाव जीतने पर उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद अक्टूबर 2019 में हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी तंजीन फातिमा सपा के टिकट पर जीत कर विधानसभा पहुंचीं थी.
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