कोलकाता. तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल की सभी 42 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए हैं. कई दिग्गज नेताओं के बीच इस लिस्ट में देवांशु भट्टाचार्य का भी नाम शामिल है. देवांशु तृणमूल के युवा तेज-तर्रार चेहरों में शुमार किए जाते हैं और पार्टी ने इस बार उन्हें तमलूक लोकसभा सीट से संसद भेजने की तैयारी की है. इसी क्रम में उन्हें उम्मीदवार बनाया गया है. तृणमूल के लिए यह चुनाव बेहद अहम है क्योंकि कुछ सर्वे में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी की सीटें बढ़ सकती हैं. ऐसे में युवा देवांशु को तमलूक सीट से प्रत्याशी बनाने से यह भी समझा जा सकता है कि पार्टी में उनकी अहमियत कैसे बढ़ रही है? यानी एक अहम चुनाव में ममता बनर्जी ने बड़ी जिम्मेदारी देवांशु के कंधों पर रखी है. 


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टीएमसी के प्रवक्ता
देवांशु भट्टाचार्य इस वक्त टीएमसी के राज्य प्रवक्ता हैं. इसके अलावा साल 2022 के अंत से उनके पास पश्चिम बंगाल में पार्टी के सोशल मीडिया और आईटी सेल की भी जिम्मेदारी है. देवांशु की अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल भी दिलचस्प है और वो अपने X अकाउंट पर अपनी विचारधार 'Mamataism' यानी 'ममतावाद' बताते हैं. अंदाजा लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की वैचारिकी में उनकी आस्था कितनी ज्यादा प्रबल है. 


कैसे शुरू हुई देवांशु के मशहूर होने की कहानी
खैर, देवांशु भट्टाचार्य के लोकप्रिय होने की कहानी पर आते हैं. 2021 में पश्चिम बंगाल का विधानसभा चुनाव पूरे ऊफान था और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी दावा कर रही थी कि वह प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है. इसी बीच एक युवा नेता का वीडियो जोश के साथ तृणमूल समर्थकों के बीच 'खेला होबे'गाते हुए वायरल हुआ. देवांशु एकदम से चर्चा में आ गए.


लोगों के बीच मशहूर हुए देवांशु 
इसके बाद जानकारी सामने आई कि देवांशु तृणमूल यूथ विंग के महासचिव हैं और टीएमसी प्रवक्ता भी हैं. उन्होंने वीडियो वायरल होने के बाद कई इंटरव्यू दिए. उस चुनाव में देवांशु घूम-घूमकर 'खेला होबे' गाते और लोग इसे खूब पसंद करते. सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले देवांशु ने ही बताया था कि उन्होंने 'खेला होबे' लिखा. धीरे-धीरे खेला होबे पश्चिम बंगाल में टीएमसी का मुख्य नारा बन गया था. 


अब पार्टी ने दी है अहम जिम्मेदारी
जब चुनावी नतीजे सामने आए तो टीएमसी को 200 से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल हुई थी. इसके बाद बीजेपी के खिलाफ 'खेला होबे' का इस्तेमाल कई राज्यों में कई दिग्गज नेताओं द्वारा किया गया. इसे केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी के खिलाफ प्रतीकात्मक नारे के रूप में भी इस्तेमाल किया गया. विधानसभा चुनाव के बाद भी देवांशु तृणमूल में अहम जिम्मेदारियां निभाते रहे हैं. अब पार्टी ने उन्हें तमलूक लोकसभा सीट से कैंडिडेट बनाया है. अगर वो चुनाव जीते तो देश की संसद में तृणमूल का पक्ष रखते हुए देखे जाएंगे. 


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