नई दिल्ली. बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने लोकसभा चुनावों के बीच मंगलवार को एक चौंकाने वाला फैसला लिया है. उन्होंने अपने उत्तराधिकारी और पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद को जिम्मेदारियां वापस ले ली हैं. मायावती ने सोशल मीडिया पोस्ट मे लिखा है-विदित है कि बीएसपी एक पार्टी के साथ ही बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान तथा सामाजिक परिवर्तन का भी मूवमेन्ट है जिसके लिए कांशीराम और मैंने खुद भी अपनी पूरी ज़िन्दगी समर्पित की है और इसे गति देने के लिए नई पीढ़ी को भी तैयार किया जा रहा है. इसी क्रम में पार्टी में, अन्य लोगों को आगे बढ़ाने के साथ ही, आकाश आनन्द को नेशनल कोओर्डिनेटर और अपना उत्तराधिकारी घोषित किया, किन्तु पार्टी और मूवमेन्ट के व्यापक हित में पूर्ण परिपक्वता (maturity) आने तक अभी उन्हें इन दोनों अहम जिम्मेदारियों से अलग किया जा रहा है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मायावती ने आगे लिखा- जबकि इनके पिता आनन्द कुमार पार्टी और मूवमेन्ट में अपनी जिम्मेदारी पहले की तरह ही निभाते रहेंगे. अतः बीएसपी का नेतृत्व पार्टी व मूवमेन्ट के हित में एवं बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के कारवां को आगे बढ़ाने में हर प्रकार का त्याग व कुर्बानी देने से पीछे नहीं हटने वाला है.



क्यों मायावती ने उठाया बड़ा कदम, बयान बने वजह?
अब इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि मायावती ने चुनाव के बीच में इतना बड़ा निर्णय क्यों लिया? आकाश आनंद पार्टी में मायावती के उत्तराधिकारी के रूप में लगातार चुनाव प्रचार कर रहे थे और अपने भाषणों से लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींच रहे थे. लेकिन आकाश आनंद के भाषणों में एक 'समस्या' भी दिख रही थी. आकाश के भाषण बेहद तीखे हैं. और आक्रामक भाषण के चक्कर में वह ऐसे शब्दों का इस्तेमाल भी कर रहे थे जिन्हें लेकर समस्या हो सकती थी.


वैसे भी आकाश के एक भाषण को लेकर एफआईआर पहले ही दर्ज हो चुकी है. लंदन से एमबीए ग्रेजुएट आकाश आनंद ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए एक चुनावी रैली के दौरान कहा था-इनकी इच्छा नहीं है कि आप कभी रोजगार में आ जाओ. ऐसी सरकार का कोई हक नहीं आपके बीच आने का ऐसे लोग अगर आपके बीच में जाएं तो वोट की जगह जूता और चप्पल मारने का काम करना. इसके अलावा अलीगढ़ में आकाश आनंद ने कहा था राम मंदिर में भी तेल चढ़ाना पड़ता है, अब किडनी से भी तेल निकालकर दें क्या.