नई दिल्लीः Lok sabha Chunav 2024: कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीट से उम्मीदवार का सस्पेंस खत्म हो गया है. कांग्रेस ने दोनों सीटों पर कैंडिडेट का ऐलान करते हुए राहुल गांधी को रायबरेली और किशोरी लाल शर्मा को अमेठी से चुनावी मैदान में उतारा है. ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि क्यों गांधी परिवार ने अमेठी छोड़ दिया, क्यों प्रियंका गांधी को रायबरेली से टिकट नहीं मिला?


चुनाव नहीं लड़ना चाहती थीं प्रियंका!


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मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि कांग्रेस नेता चाहते थे कि राहुल गांधी अमेठी और प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ें लेकिन प्रियंका गांधी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं हुईं. कहा जा रहा है कि प्रियंका गांधी सीधे तौर पर राजनीति में उतरने की इच्छुक नहीं हैं बल्कि वह राहुल गांधी का सहयोग करना चाहती हैं. साथ ही बीजेपी की ओर से परिवारवाद के आरोपों को लेकर भी प्रियंका चुनाव नहीं लड़ना चाहती थी.


वहीं पिछले दिनों न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा ने भी अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से दावा किया था कि पीएम मोदी की ओर से कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ वंशवादी राजनीति का मुद्दा उठाने के मद्देनजर राहुल गांधी भी इस विचार में नहीं हैं कि गांधी परिवार के तीनों सदस्य सांसद बनें.


क्यों राहुल गांधी ने रायबरेली सीट चुनी?


वहीं अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रियंका गांधी के चुनाव मैदान में नहीं उतरने की सूरत में कांग्रेस ने राहुल गांधी के लिए रायबरेली का विकल्प चुना. मीडिया रिपोर्ट्स में इसके लिए जो वजह बताई जा रही है, वो यह है कि पिछले चुनाव में अमेठी में राहुल गांधी को हराने वाली स्मृति ईरानी कई दिनों से अपने चुनावी क्षेत्र में सक्रिय हैं. ऐसे में अंतिम समय में राहुल गांधी को अमेठी से उतारने में जोखिम भी हो सकता है क्योंकि राहुल वहां गए भी नहीं हैं. रायबरेली को राहुल के लिए सुरक्षित मानने की एक वजह यह भी है कि 2019 में जब अमेठी में कांग्रेस को हार मिली तब भी सोनिया गांधी अपनी रायबरेली की सीट जीतने में कामयाब रही थीं. 


रायबरेली से गांधी परिवार का पुराना नाता


इसके अलावा एक वजह यह भी है कि रायबरेली से कांग्रेस का काफी पुराना नाता है. 1951-52 के पहले लोकसभा चुनाव में रायबरेली और प्रतापगढ़ जिले को मिलाकर एक लोकसभा सीट थी. तब यहां से इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी कांग्रेस के टिकट से चुनाव जीते थे. इसके बाद 1957 में जब रायबरेली सीट अस्तित्व में आई थी तब भी फिरोज गांधी इस सीट पर विजयी हुए थे. फिर फिरोज गांधी के निधन के बाद कुछ साल गांधी परिवार इस सीट से दूर रहा लेकिन 1967 में एक बार फिर इस सीट पर गांधी परिवार की एंट्री हुई और इंदिरा गांधी ने रायबरेली से चुनाव जीता.


सोनिया की विरासत आगे बढ़ाएंगे राहुल


कांग्रेस सुप्रीमो रह चुकीं सोनिया गांधी अब राज्यसभा चली गई हैं. ऐसे में कांग्रेस ने रायबरेली से राहुल गांधी को उतारकर यह भी संदेश देने की कोशिश की है कि वह सोनिया गांधी की राजनीतिक विरासत आगे बढ़ाएंगे. साथ ही सोनिया गांधी ने भी राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल करने के बाद रायबरेली की जनता के नाम भावुक पत्र लिखकर कहा था,  'मुझे पता है कि आप भी हर मुश्किल में मुझे और मेरे परिवार को वैसे ही संभाल लेंगे जैसे अब तक संभालते आए हैं.' इस पत्र में उन्होंने संकेत दिए थे कि गांधी परिवार का कोई सदस्य रायबरेली से चुनाव लड़ेगा. ऐसे में अब यहां से गांधी परिवार की अगली पीढ़ी के तौर पर राहुल गांधी मैदान में हैं.


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