बिहार में NDA की बहार, फिर से नीतीशे कुमार!
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे किसके पक्ष में होंगे इसके बारे में सटीक जानकारी जुटा पाना वैसे तो काफी मुश्किल है. लेकिन ज़ी हिन्दुस्तान के ग्राउंड रिपोर्ट सर्वे में नीतीश कुमार की सरकार दोबारा बनती दिख रही है..
बिहार में 2020 के चुनावी ऐलान के साथ जिस तरह सत्ता पक्ष और विपक्षी गठबंधनों में जबर्दस्त टूटफूट हुई और नये गठबंधनों ने आकार लिया, उससे माना जा रहा था कि बिहार के चुनावी नतीजे इस बार बेहद अप्रत्याशित रहने वाले हैं. समझा जा रहा था कि इस बार के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान जैसे कई नए किंगमेकर उभर सकते हैं.
फिर से नीतीश कुमार की होगी वापसी!
लेकिन ज़ी हिन्दुस्तान में ओपिनियन पोल में तीन चरणों के बिहार चुनाव को लेकर जो ग्राउंड रिपोर्ट सामने आई है, वो यही बता रही है कि इस बार फिर बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है. ये संभावना तीसरे चरण के चुनाव के ओपिनियन पोल के नतीजों में बनी दिख रही है.
तीसरे चरण के ओपिनियन पोल में ज़ी हिन्दुस्तान ने सात हजार आठ सौ मतदाताओं से बात की और 15 जिलों की उन 78 सीटों के संभावित नतीजों को खंगाला, जिन पर 7 नवंबर को वोटिंग है.
क्या कहता है तीसरे चरण का ओपिनियन पोल?
ज़ी हिन्दुस्तान के इस ग्राउंड रिपोर्ट सर्वे के मुताबिक तीसरे चरण के चुनाव में एनडीए को 46 से 50 सीटे मिलने का अनुमान है, जबकि महागठबंधन के खाते में 25 से 29 सीटें जाने का अनुमान है. जबकि अन्य के खाते में ज्यादा से ज्यादा पांच सीटें जा सकती हैं.
इस ओपिनियन पोल के मुताबिक तीसरे चरण में एनडीए महागठबंधन को पछाड़ता दिख रहा है.
78 सीटें और 2015 का चुनावी गणित
आपको बता दें कि बिहार में तीसरे चरण में जिन 78 सीटों पर चुनाव है, 2015 में एनडीए को 21 सीटों पर जीत मिली थी. इसमें बीस सीट बीजेपी की और एक सीट आरएलएसपी की थी. महागठबंधन के खाते में तब 78 में 54 सीटें आई थीं. जिसमें आरजेडी की 20 सीटें और कांग्रेस की 11 सीटें थीं. और तब महागठबंधन का हिस्सा रही जेडीयू को 23 सीटों पर जीत मिली थी.
तीसरे चरण में महागठबंधन को झटका!
बिहार के आज के सियासी समीकरण के लिहाज से अगर 2015 के चुनावी नतीजों के आइने में देखें, तो जेडीयू की 23 सीटें और बीजेपी की 20 सीटों को मिलाकर कुल 43 सीटें बनती हैं, जबकि तीसरे चरण के ओपिनियन पोल में ये आंकड़ा 46 से 50 तक पहुंचता दिख रहा है. यानी 2020 में तीसरे चरण के चुनाव में एनडीए का प्रदर्शन 2015 से बेहतर रहने वाला है और महागठबंधन की सीटों में सेंध लगने वाली है.
यही वजह है कि पहले और दूसरे चरण के ओपिनियन पोल में एनडीए को कांटे की टक्कर दे रहा आरजेडी की अगुवाई वाला महागठबंधन तीसरे चरण में अचानक पिछड़ता दिखता है, जिससे बिहार में फिर से नीतीश सरकार बनती दिख रही है. तीन चरणों की कुल 243 सीटों की ओपिनियन पोल को एक साथ देखें तस्वीर दिखा देते हैं.
क्या कहता है 243 सीटों का ओपिनियन पोल?
तीनों चरणों के ओपिनियन पोल की बात करें तो एनडीए को 130-140 सीटें मिलती दिख रही हैं. यानी अपने दम पर बहुमत, वहीं महागठबंधन को 95 से 105 सीट मिलती दिख रही है. यानी अपने दम पर तेजस्वी के लिये बिहार की कुर्सी दूर है.
जबकि अन्य के खाते में 10 से 15 सीटें जाती दिख रही हैं. यानी ये सीटें अगर महागठबंधन के साथ जाती हैं, तब भी बहुमत का आंकड़ा जुटता नहीं दिख रहा है.
आपको बता दें कि बिहार की 243 सीटों पर तीन चरणों में हो रहे चुनाव को लेकर ज़ी हिन्दुस्तान ने करीब चौबीस हजार तीन सौ मतदाताओं से बात की. इस तरह आप तक हर चरण का ओपिनियन पोल पहुंचा है.
क्या कहता है पत्रकारों का ओपिनियन पोल?
बिहार चुनाव के संभावित नतीजों को समझने के लिये जडी हिन्दुस्तान ग्राउंड रिपोर्ट सर्वे के साथ दो राजनीतिक विश्लेषकों का चुनावी आकलन भी सामने रख रहा है. इस कड़ी में राजनीतिक विश्लेषक चंद्रशेखर का आकलन सबसे पहले देखिये.
चंद्रशेखर के मुताबिक बिहार के 243 सीटों में एनडीए के खाते में कुल 129 सीटें मिलती दिख रही हैं. यानी पूर्ण बहुमत से सात सीटें ज्यादा, वहीं वो 97 सीटों पर महागठबंधन की जीत मान रहे हैं यानी बहुमत के आंकड़े 122 से 25 सीटें कम.
चंद्रशेखर अपने चुनावी आकलन में एलजेपी को कुल 9 सीटें और अन्य को आठ सीटें दे रहे हैं. यानी कुल 17 सीटें, यानी चंद्रशेखर के मुताबिक महागठबंधन एलजेपी और अन्य को साथ लेकर भी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं होगी.
अगर बात सिर्फ तीसरे चरण के ओपिनियन पोल की करें तो चंद्रशेखर 78 सीटों में एनडीए को 40 सीटें, महागठबंधन को 32 सीटें, एलजेपी को तीन और अन्य को भी तीन सीटें दे रहे हैं. साफ है चंद्रशेखर भी तीसरे चरण के मतदान में एनडीए को महागठबंधन पर भारी पड़ता देख रहे हैं.
जबकि यूएनआई से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का आकलन है कि तीसरे चरण की 78 सीटों में एनडीए को 35, महागठबंधन को 32, एलजेपी को 7 और अन्य को चार सीटें मिल सकती हैं.
अब रवि उपाध्याय के पहले और दूसरे चरण के ओपिनियन पोल के आकलन को तीसरे चरण के आकलन से जोड़कर बन रही बड़ी तस्वीर देख लेते हैं. इसके मुताबिक तीनों चरणों में कुल मिलाकर एनडीए को 113 सीटें मिलती दिख रही हैं. यानी वो एनडीए को बहुमत से 9 सीटें कम दे रहे हैं. यानी उनके मुताबिक एनडीए की सरकार तभी बन सकती है, जब एलजेपी या अन्य उम्मीदवारों को साथ लेकर एनडीए 9 सीटों का अंतर साधती है. देखना ये है कि ऐसे हालात बनते हैं तो एनडीए चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी या अन्य में से किसे चुनती है, किसे किंग मेकर बनाती है.
रवि उपाध्याय के मुताबिक महागठबंधन को 243 सीटों में 99 सीटें मिल सकती हैं. यानी उनके मुताबिक गठबंधन की अकेले सरकार नहीं बनने जा रही है. गठबंधन को बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने के लिये एलजेपी के साथ अन्य उम्मीदवारों को भी साधना होगा.
वैसे लब्बोलुआब देखें, तो इस हालत में भी महागठबंधन के मुकाबले एनडीए बेहतर हालत में दिख रही है. हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि ज़ी हिन्दुस्तान के ग्राउंड रिपोर्ट सर्वे में तो बिहार में एनडीए को 130 से 140 सीटें मिलती दिख रही हैं, यानी पूर्ण बहुमत की सरकार..
अब देखना ये है कि ओपिनियन पोल के नतीजे हकीकत में कैसे ढलते हैं. इसके लिये तो आपको 10 नवंबर का इंतजार करना होगा, जब बिहार के चुनावी नतीजे सामने आएंगे.
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