अजब है दिलीप कुमार के नाम का किस्सा, पिता की मार से बचने के लिए बना ली नई पहचान
Dilip Kumar Special: दिलीप कुमार का नाम लेते हैं उनका चेहरे और उनके द्वारा निभाए गए कई बेहतरीन किरदार जेहन में ताजा हो जाते हैं. उनकी अदाकारी में वो खूबसूरती और सादगी हुआ करती थी, जो किसी और में कभी देखने को नहीं मिलेगी.
नई दिल्ली: बॉलीवुड का वो ट्रेजडी किंग, जिसे पर्दे पर डायलॉग बोलता देख दर्शक जैसे सब कुछ भूल जाते थे. यहां हम दिलीप कुमार की बात कर रहे हैं. उन जैसा कलाकार फिल्म जगत में न कभी हुआ और न ही कभी होगा. उन्होंने अपनी हर भूमिका को इतनी खूबसूरती से दर्शकों के समक्ष पेश किया कि वह हर उम्र के लोगों के पसंदीदा बन गए. दिलीप साहब वो नाम है जिनके बारे में जितना कहा जाए उतना कम है.
क्यों बदला गया दिलीप कुमार का नाम
दिलीप साहब ने अपने लंबे करियर में इतना काम किया है कि उनसे जुड़े कई किस्से आज भी अक्सर सुनने को मिल जाते हैं. एक किस्सा तो उनके नाम से काफी मशहूर है. ये बात तो कई लोग जानते ही होंगे कि दिलीप साहब का असली नाम मोहम्मद यूसुफ खान था, लेकिन फिल्मों में कदम रखने से पहले ही उनका नाम बदल दिया गया और वह दुनियाभर में इसी नाम से मशहूर हो गए.
फल बेचते थे दिलीप कुमार के पिता
दिलीप कुमार के पिता फल बेचने का कारोबार करते थे. कहते हैं कि एक बार उनकी अपने पिता से किसी बात को लेकर बहस हो गई और वह मुंबई से भागकर पुणे चले गए. पुणे की एक आर्मी कैंटीन में उन्होंने सैंडविच बेचने का काम किया, लेकिन फिर कुछ ही समय के बाद वह अपने परिवार के पास मुंबई आ गए. इस दौरान एक दोस्त के जरिए उनकी मुलाकात बॉम्बे टॉकीज की मालकिन देविका रानी से हुई. देविका ने दिलीप साहब को देखा और उन्हें अपने पास ही नौकरी दे दी.
पिता को नहीं पसंद थी एक्टिंग
दिलीप साहब ने अपनी बायोग्राफी ‘दिलीप कुमार: द सबस्टैंस एंड शैडो’ में बताया है कि एक दिन देविका रानी ने दिलीप साहब की सूरत को देखकर पूछा कि क्या वह फिल्मों में एक्टिंग करना चाहते हैं? हालांकि, दिलीप कुमार ने तो अभिनय सिर्फ इसलिए चुना क्योंकि उन्हें चार फिगर में सैलरी बहुत आकर्षित कर रही थी. वहीं, उनके पिता को एक्टिंग करना सिर्फ नौटंकी लगता था.
पिता की मार का था डर
दूसरी ओर देविका रानी पूरा मन बना चुकी थीं कि वह यूसुफ खान को अपनी फिल्म में लॉन्च करेंगी. वह चाहती थीं कि यूसुफ को कोई दूसरा नाम दिया जाए जो दर्शकों से कनेक्ट हो पाए. ऐसे में उन्होंने दिलीप कुमार नाम पर विचार किया. वहीं, यूसुफ खान को डर था कि अगर उनके पिता को एक्टिंग वाली बात पता चली तो बहुत मार पड़ेगी. ऐसे में पर्दे पर नाम बदलना ही ठीक रहेगा. इसके बाद उन्हें दिलीप कुमार नाम से 1944 में फिल्म 'ज्वार भाटा' में लॉन्च किया गया.
पृथ्वीराज कपूर पर भी नाराज रहते थे दिलीप साहब के पिता
अपने नाम को लेकर एक इंटरव्यू में भी दिलीप साहब ने बताया था, 'पिता की पिटाई के डर से मैंने फिल्मों में अपना नाम बदला था. उनके करीबी दोस्त के बेटे पृथ्वीराज कपूर फिल्मों में एक्टिंग कर रहे थे और पिता अक्सर इस काम को लेकर अपने दोस्त से शिकायत करते थे कि तुम्हारा नौजवान लड़का कैसा काम करता है. ऐसे में अगर उन्हें यह पता चल जाता कि उनका लड़का भी यही काम कर रहा है तो वो बहुत नाराज होते.'
7 जुलाई, 2021 को हो गया दिलीप कुमार का निधन
दिलीप कुमार आज वो नाम है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता. उन्होंने अपनी जबरदस्त एक्टिंग से कई कलाकारों की सीख दी है और आने वाले कलाकारों के लिए भी वह प्रेरणा रहेंगे. दिलीप साहब ने 7 जुलाई, 2021 को 98 साल की उम्र में हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया. उनकी कमी हमेशा इस फिल्मी दुनिया में खलेगी.
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