नई दिल्ली:Gulshan Kumar Birth anniversary: संगीत की दुनिया के बेताज बादशाह कहे जाने वाले गुलशन कुमार ने जितनी जल्दी अपने करियर को उड़ान दी, उतनी ही जल्दी उन्होंने दुनिया को अलविदा भी कह दिया. गुलशन कुमार ने काफी कम उम्र में जिंदगी में सफलता स्वाद चख लिया था. उन्हें पता था कि अगर मेहनत और लगन से किसी काम किया जाए तो उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है.


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जूस की दुकान पर करते थे काम


गुलशन का जन्म 5 मई 1951 को दिल्ली के एक पंजाबी अरोड़ा परिवार में हुआ था. उनका असली नाम गुलशन दुआ था. पिता दिल्ली के दरियागंज बाजार में फलों के जूस की दुकान लगाते थे. गुलशन भी अपने पिता की काम में मदद करते थे. वहां से शुरू हुई उनकी मेहनत ने उन्हें फर्श से अर्श पर पहुंचा दिया. सिंगर ने धीरे-धीरे इंडियन म्यूजिक इंडस्ट्री में कदम रखा और मशहूर होते चले गए.


मां की भक्ति ने बनाया सफल


सिर्फ 23 साल की उम्र में गुलशन कुमार ने अपनी सस्ते ऑडियो कैसेट्स की दुकान खोल ली थी. यहीं से ही वह सफलता की सीढ़ियां चढ़ने लगे, उनके चर्चे पूरे देश में होने लगे. कुछ समय बाद लोगों की जुबां पर सिर्फ गुलशन कुमार नाम रहने लगा था. उनकी कैसेट्स की मांग हर दिन बढ़ती जा रही थी. गुलशन कुमार मां वैष्णो देवी के बहुत बड़े भक्त थे. भक्ति में लीन गुलशन वैष्णो देवी जाने वाले भक्तों के लिए भंडारे का आयोजन भी कराते थे.


16 गोलियां मारकर की हत्या


उनकी सफलता लोगों को खटकने लगी थी. 12 अगस्त 1997 का वो काला दिन... गुलशन कुमार हर रोज की तरह उस दिन भी जीतेश्वर महादेव के मंदिर गए थे. वह पूजा करके जैसे ही मंदिर से बाहर निकले तो सुबह करीब 10:30 बजे मंदिर के बाहर खड़े एक शख्स ने उन पर पिस्तौल तान दी. कहते हैं गुलशन कुमार बचने के लिए इधर-उधर भागे, लेकिन उन पर एक के बाद एक 16 गोलियां दाग दी गईं.


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