नई दिल्ली: अमेरिका में रह रहे भारतवंशी परिवार ने न्यू जर्सी के एडिसन शहर में अपने घर पर अभिनेता अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan statue) की आदमकद मूर्ति स्थापित की है. एडिसन में रिंकू और गोपी सेठ के घर पर प्रतिमा का औपचारिक रूप से समुदाय के प्रख्यात नेता अल्बर्ट जसानी ने अनावरण किया था. इस दौरान रिंकू और गोपी सेठ के घर के बाहर लगभग 600 लोग इकट्ठा हुए.


'लिटिल इंडिया'


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बड़ी संख्या में भारतवंशी अमेरिकी नागरिकों की आबादी के कारण एडिसन को अक्सर ‘लिटिल इंडिया’ कहा जाता है. बता दें कि अमिताभ बच्चन की प्रतिमा को एक बड़े कांच के बक्से के अंदर रखा गया है. इस खास समारोह के दौरान लोगों ने पटाखे फोड़े और जमकर डांस भी किया. इंटरनेट सिक्योरिटी इंजीनियर गोपी सेठ ने न्यूज अजेंसी से कहा, ‘‘वह मेरे और मेरी पत्नी के लिए किसी भगवान से कम नहीं हैं.’’ 


अमिताभ बच्चन करते हैं प्रेरित


सेठ ने इंटरव्यू के दौरान कहा, ‘‘सबसे बड़ी बात जो मुझे उनके बारे में प्रेरित करती है, वह न केवल उनकी रील लाइफ है, बल्कि वास्तविक जीवन भी है... वह लोगों के बीच कैसे पेश आते हैं, कैसे बात करते हैं... आप सब कुछ उनके बारे में जानते हैं. वह जमीन से जुड़े हुए हैं. वह अपने प्रशंसकों का ध्यान रखते हैं. वह अन्य अभिनेताओं की तरह नहीं हैं इसलिए मैंने सोचा कि मेरे घर के बाहर उनकी प्रतिमा होनी चाहिए.’’


गुजरात से आया है परिवार


1990 में पूर्वी गुजरात के दाहोद से अमेरिका पहुंचे सेठ पिछले तीन दशकों से ‘‘बिग बी एक्सटेंडेड फैमिली’’ की वेबसाइट चला रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह वेबसाइट दुनिया भर में अमिताभ बच्चन के प्रशंसकों का भंडार है. डेटाबेस को 79 वर्षीय बॉलीवुड सुपरस्टार के साथ साझा किया गया है.


सेठ के मुताबिक, बच्चन प्रतिमा के बारे में जानते हैं. सेठ ने कहा कि अभिनेता ने उनसे कहा कि वह इस तरह के सम्मान के लायक नहीं हैं. प्रतिमा में बच्चन को ‘‘कौन बनेगा करोड़पति’’ स्टाइल में बैठे दिखाया गया है.


प्रतिमा का डिजाइन


अमिताभ बच्चन की इस खास मूर्ति को खास तौर से राजस्थान में डिजाइन और निर्माण के बाद फिर अमेरिका भेजा गया. सेठ ने कहा कि पूरे कार्य में 75,000 अमेरिकी डॉलर (लगभग 60 लाख रुपये) से अधिक की लागत आई. सेठ ने कहा कि वह 1991 में न्यू जर्सी में नवरात्रि समारोह के दौरान पहली बार ‘‘अपने भगवान’’ से मिले थे, तब से वह अभिनेता के बहुत बड़े प्रशंसक रहे हैं.


उन्होंने कहा, ‘‘बच्चन साहब अपने प्रशंसकों और समर्थकों को अपना विस्तृत परिवार कहते हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका में एक प्रतिमा स्थापित करने में बहुत सारी चुनौतियां होती हैं और यह काफी कठिन था.’’


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