Kaali Poster Cotroversy: लीना मणिमेकलाई पहुंचीं सुप्रीम कोर्ट, की FIR रद्द करने की मांग
Kaali Poster Cotroversy: फिल्म `काली` का पोस्टर जारी होने का बाद इसकी निर्माता लीना मणिमेकलाई के खिलाफ कई जगहों पर एफआईआर दर्ज करवाई गई थी. अब निर्माता ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख कर लिया है.
नई दिल्ली: फिल्म 'काली' के पोस्टर को लेकर इतना पूरे देशभर में इतना विवाद हुआ कि कई हिस्सों में फिल्म और इसकी निर्माता लीना मणिमेकलाई को लेकर एफआईआर दर्ज करवाई गई थीं. अब खुद फिल्म की निर्माता लीना ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. दरअसल, लीना ने अपने खिलाफ दर्ज किए गए मामलों में संरक्षण की मांग की है. लीना ने अदालत से अपील की है कि फिल्म काली के पोस्टर के कारण उनके खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर को जोड़कर रद्द कर दिया जाए.
इसलिए काली पोस्टर पर हुआ था विवाद
गौरतलब है कि लीना ने अपनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'काली' के पोस्टर में मां काली को सिगरेट पीते हुए दिखाया था. इस पोस्टर के सामने आते ही पूरे हंगामा जैसे हंगामा मच गया था.
कई जगहों पर लीना को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा था. उनके खिलाफ दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड जैसे में कई केस दर्ज करवाएप गए थे.
धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था उद्देश्य- लीना
अब शुक्रवार, 14 जनवरी को लीना ने मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूर्ण की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने इस मामले को पेश किया है. लीना ने अपनी याचिका में अदालत से उनके खिलाफ दायर सभी एफआईआर को रद्द करने की निर्देश देने की मांग की है. लीना ने अपनी दलीलें देते हुए कहा है कि वह अपनी फिल्म के जरिए एक निर्माता के रूप में किसी की भी धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं करना चाहती थीं.
लीना ने दी कई जगह पर चल रही कार्यवाही को चुनौती
लीना ने आगे कहा, उनका उद्देश्य सिर्फ एक मौलिक समावेशी देवी की छवि को पेश करना था. यह डॉक्यूमेंट्री देवी के व्यापक विचारों को दर्शात है. ऐसे में अब लीना ने अपने खिलाफ मध्यप्रदेश के रतलाम, लखनऊ के हजरतगंज, उत्तराखंड के हरिद्वार, भोपाल, इंदौर और दिल्ली की जिला अदालतों में चल रही कार्यवाही को चुनौती दे डाली है.
सुप्रीम कोर्ट में 20 जनवरी को होगी सुनवाई
लीना का कहना है कि इस पोस्टर को रिलीज करते ही उन्हें जान से मारने की और सिर कलम करने की धमकी के कई फोन कॉल्स किए गए. लीना का कहना है कि उनके खिलाफ दर्ज कराई गईं ये एफआईआर उनके उत्पीड़न, बोलने के अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. अब इस मामले पर 20 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की जाएगी.
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