Birthday Special: जब कुमार सानू पर कुछ लोगों ने तान दी थी बंदूक, सिंगर को 16 बार गाना पड़ा था एक ही गाना
Birthday Special: सिंगर कुमार सानू (Kumar Sanu) की आवाज का हर कोई दीवाना है. लोगों को उनके गाने बेहद पसंद आते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक बार अपनी गायकी के कारण सिंगर बड़ी मुसीबत में फंस गए थे.
नई दिल्ली: Birthday Special: सुरों के बेताज बादशाह कुमार सानू (Kumar Sanu) आज किसी पहचान के मौहताज नहीं हैं. सिंगर ने कड़ी मेहनत से बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बनाई है, लेकिन उनके लिए ये सफर आसान नहीं था. 20 अक्टूबर, 1957 को कोलकाता में जन्मे कुमार सानू के पिता पाशुपति भट्टाचार्य भी जाने माने संगीतकार थे. कुमार सानू को असली पहचना साल 1990 में आई फिल्म 'आशिकी' से मिली थी. फिल्म में उनके गाने को बेहद पसंद किया गया था.
बंदूक की नोक पर गवाया गाना
एक शो में इस किस्से को शेयर करते हुए कुमार सानू ने बताया था कि एक बार मैं पटना में शो करने गया था. मैंने कुछ गाने गाए, जो लोगों को बहुत पसंद आए. इसके बाद मैंने देखा, कुछ लोग आगे राइफल लेकर बैठे हुए थे, जो गाना अच्छा लगने पर फायर करते.
यह सब नजर अंदाज करते हुए मैंने ‘मैं दुनिया भुला दूंगा गाना गाया’, और जैसे ही दूसरा गाने लगा तो वह बंदूक वाले आए, और बोले गाना किसने बंद किया, यह मेरा पसंदीदा गीत है. वह सभी शराब के नशे में थे.
16 बार गाया एक ही गाना
सिंगर ने बताया कि वह काफी डर गए थे. सभी लोग नशे में थे तो किसी की सुन भी नही रहे थे. वह उठकर मेरे पास आए और उन्होंने मुझसे कहा सानू जी मेरे को यह गाना फिर से सुनाइए, आपको यह गीत हमारे लिए गाना ही पड़ेगा. इतना सुनने के बाद मैं डर गया, मैंने कहा भाई मैं आपके लिए दूसरा गीत गा रहा हूं, लेकिन वो सुनने को तैयार ही नहीं थे.
मैं फिर से ‘मैं दुनिया भुला दूंगा’ गाना उस दिन 16 बार गाया. फिर वह सब बंदूक लेकर खुद स्टेज पर आ कर गाने लगे. माहौल खराब होता देखकर मैं पीछे के रास्ते से निकला गया था. इसके बाद सुबह 5 बजे तक वहां गोलियां चलती रही थीं.
जब माफिया लोगों के सामने गाया गाना
एक और किस्सा शेयर करते हुए कुमार सानू ने बताया था कि उन्होंने माफिया लोगों के सामने भी गाना गाया है. सानू ने बताया कि ''मेरा डेब्यू परफॉर्मेन्स रेलवे ट्रैक पर था. जहां एक माफिया गैंग के सामने मुझे कुछ हिंदी गानों को गाने के लिए कहा गया था. उस वक्त वहां 20 हजार लोग मौजूद थे. मैंने डर-डर के गाना गाया भी और नाचा भी, खुशकिस्मती से उस गैंग ने इसे पसंद भी किया, लेकिन इश कांड के बाद मेरे पिता ने मुझे एक जोर का तमाचा मारा और कहा कि यह गाने का कोई तरीका नहीं है, क्योंकि वह रुढ़ीवादी सोच के थे और संगीत की पूजा करते थे.
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