नई दिल्ली: RRR के हिट गाने 'नाटू-नाटू' ने आखिरकार ऑस्कर जीत ही लिया.आखिरी बार 2008 में फिल्म स्लमडॉग मिलेनियर के लिए एआर रहमान को अवॉर्ड मिला था.जय हो को अवॉर्ड तो मिला लेकिन ये एक ब्रिटिश फिल्म थी. जबकि पहली बार किसी भारतीय फिल्म के पूरी तरह से भारतीय गाने को ऑस्कर में इतना बड़ा सम्मान मिला है. इश गाने को प्रेमरक्षित ने कोरियोग्राफ किया.


हुक स्टेप को ऐसे बनाया आसान


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प्रेम रक्षित ने इस गाने के हुक स्टेप को 110 मूव्स में तैयार किया. इस गाने को पहले ही गोल्डन ग्लोब दिया जा चुका है. नाटू-नाटू गोल्डन ग्लोब हासिल करने वाला पहला भारतीय और एशियन गाना भी है. नाटू-नाटू गाने के कोरियोग्राफर प्रेम रक्षित के पिता एक समय में हीरा व्यापारी थे. पारिवारिक समस्या के चलते 1993 में उनके परिवार की हालत बहुत खराब होगी. परिवार पूरी तरह से गरीब हो गया. पिता फिल्मों में डांस असिस्टेंट बन गए और प्रेम टेलर की दुकान में काम करने लगे.



आत्महत्या की ठान ली


गरीबी से तंग आकर प्रेम रक्षित ने आत्महत्या की ठान ली थी इसके लिए वो चेन्नई के मरीना बीच चले गए थे. प्रेम को लगा कि अगर वो मर जाएंगे तो डांस फेडरेशन परिवार को 50 हजार रुपए की आर्थिक मदद देगा. जैसे ही मरने पहुंचे तो ख्याल आया कि जिस साइकिल को लेकर बीच पर पहुंचे हैं वो उधार की है. अगर वो मर गए तो साइकिल वाला परिवार को परेशान करेंगा.


राजामौली ने किया कॉल


प्रेम साइकिल को लेकर घर पहुंचे तो पिता का कॉल आ गया. पिता ने बताया कि फिल्म में उन्हें डांस एक्स्ट्रा का काम मिल गया है.काम मिलत ही प्रेम के मन से सुसाइड कता ख्याल हवा हो गया. सबसे पहले प्रेम ने विद्यार्थी फिल्म के लिए डांस कोरियोग्राफ किया था जिसे देखने के बाद राजामौली इतान खुश हुए कि उन्होंने खुद कोरियोग्राफर का पता ढूंढा. कॉल करके पूछते है कि क्या वो उनके बच्चों को डांस सीखा सकते हैं. बस फिर क्या एक ऐतिहासिक गाने के बनने की नींव रखी गई और आज पूरी दुनिया उसकी धुन पर थिरक रही है.


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