नई दिल्ली: वो हसीना जिसकी खूबसूरती में जन्नत की हूरों सी मासूमियत थी. जिसकी जुबां फ्रेंच, लैटिन और इंग्लिश थी फिर भी बॉलीवुड के रंग में अपना लहजा बदल डाला. सायरा बानो लंदन के एशो आराम को छोड़ महज 16 साल की उम्र से पर्दे पर काम करने लगी. शम्मी कपूर के साथ 'जंगली' में काम कर इतिहास रचा और आखिर में खुद से 22 साल बड़े एक्टर से शादी कर ली और करोड़ों दिलों को तोड़ दिया. इस नायाब हुस्न और अकल की तराशी हुई मूर्त को ही सायरा बानो कहते हैं.


दिलीप कुमार से पहली मुलाकात


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सायरा बानो लंदन के एक स्कूल में पढ़ाई कर रही थीं. वहां जुलाई से सितंबर के बीच की लंबी छुट्टियों में उनकी मां उन्हें पूरा यूरोप दिखातीं और वहां से वो अपने घर हिंदुस्तान लौट आते. सायरा अपने एक इंटरव्यू में कहती हैं कि मेरी मां की कोशिश थी कि हमें अच्छी शिक्षा मिले. एक दिन खबर मिली कि 'मुगल-ए-आजम' का सेट शीश महल में लगा हुआ है. हम दौड़ते भागते सेट पर पहुंचे. वहां स्टेज पर युसुफ खान खड़े हुए थे.



मैं उनकी अदब और सिंप्लिसिटी की दीवानी हो गई. वहां पहुंच कर पता चला कि पैक अप हो गया है. वो हमारी गाड़ी के पास आए और हमें कव्वाली के लिए इन्वाइट किया. वो हमारी पहली मुलाकात थी. उस वक्त मुझे होश नहीं रहा क्योंकि मैं उनकी एक क्रेजी फैन थी. दिलीप कुमार का असली नाम युसुफ खान थां और सायरा उन्हें इसी नाम से बुलाती थीं.


दिलीप साहब की थीं दीवानी


अपनी शादी को लेकर सायरा बानो बहुत खुश थीं. उन्हें दिलीप कुमार की हर आदत के बारे में इल्म रहता कहतीं, "युसुफ का शूज, रुमाल और टाइ का कलेक्शन माशाल्लाह था लेकिन कभी कोई शो ऑफ नहीं करते. वैसे ही खाने के शौकीन है. मेरी वालिदा और युसुफ खां की वजह से हमारे घर का खान पान काफी डाइवर्स रहा. भिंडी चिकन सूप, खुमानी सूप जैसी क्रिएटिव डिशेज बनाते रहते. लंदन के एक रेस्टोरेंट में दिलीप कुमार स्पेशल चिकन डिश आज भी मेन्यू में मौजूद है जो मेरे स्टमक इंफेक्शन के दौरान वहां कस्टमाइज कर बनाई गई थी."



"मेरी दादी शमशाद बेगम क्लासिक सिंगर थीं. दादी दिलीप को हमेशा कहती थीं कि आप कमाल के हैं. शायद यही वजह रही कि एक इंसान के अंदर भगवान ने इतनी खूबियां दे दीं तभी मैं उनकी ओर खिंची चली गई."


इंडस्ट्री में आकर की मेहनत


सायरा बानो से जब इंडस्ट्री में काम करने के बारे में पूछा जाता तो कहतीं, "मेरे मन में एक ही ख्याल था कि मुझे खूब मेहनत करनी है. कई ऐसे मौके थे जब मैं खुद पर शर्मिंदा हुई. क्योंकि मुझे पता था कि न तो मैं एक अच्छी डांसर हूं न पूरी तरह जुबां से वाकिफ हूं. इंग्लिश, फ्रेंच और लैटिन मेरी शुरुआती भाषाएं थीं. मैंने सिर्फ दसवीं तक पढ़ी. दसवीं का रिजल्ट भी नहीं आया था और पांच-सात फिल्मों के ऑफर मिल गए जिनमें से एक 'जंगली' थी."



"शम्मी कपूर दिलीप को बड़ा भाई मानते थे. मेरी दुनिया में सिर्फ दिलीप साहब थे जिनकी मैंने 'आन' फिल्म देखी थी. इसके अलावा राज कपूर और देवानंद साहब का नाम सुना हुआ था. शम्मी साहब के साथ काम करते हुए उनका सुपरस्टारडम मेरे ऊपर हावी नहीं हुआ. 'जंगली' ही वो फिल्म थी जिसके बाद हर फिल्म कश्मीर में शूट होने लगी."


दिलीप कुमार के गुस्से का खौफ


पर्दे पर लाजवाब स्टाइल पेश करने वाली सायारा इसका क्रेडिट मां को देती हैं कहती हैं, "मेरी मां ही मेरी सारी ज्वैलरी बनाती थीं. उन्होंने एक सिल्क की 'आओ मिलन साड़ी' तैयार की थी. उस वक्त मेरे घर पर मेरे अपने एंब्रॉइडरी वाले होते थे. मेरी मां ने पूरी इंडस्ट्री की फैशन सेंस को अपग्रेड किया." पाकिस्तान में एक इंटरव्यू के दौरान जब सायरा जी से पूछा गया कि दिलीप साहब का गुस्सा कैसा है? तो कहती हैं कि इन्हें बहुत गुस्सा आता है. चीजें तोड़-फोड़ देते हैं पर गुस्सा जल्दी ही शांत भी हो जाता है. ऐसे में कहती हैं कि कभी भी गुस्से में खाना नहीं छोड़ते. ऐसे में उनसे पूछा जाता है कि कौन पहले माफी मांगता है? तो कहती हैं कि ये पठान हैं! मैंने आज तक इनकी जुबां से सॉरी शब्द नहीं सुना.


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