नई दिल्ली: 'सर जो तेरा चकराए या दिल डूबा जाए, आजा प्यारे पास हमारे काहे घबराए...' कई दशकों बाद भी यह गाना आज लोगों के जुबान पर चढ़ा हुआ है. इस गाने को सुनते ही दो नाम जेहन में आते हैं, पहला नाम तो जॉनी वाकर का है और दूसरा नाम इस गाने को कंपोज करने वाले संगीतकार एसडी बर्मन का है. भले ही इस समय एसडी बर्मन (SD Burman) हमारे बीच नहीं हैं लेकिन इन गानों ने बर्मन साहब को हमारे दिलों में जिंदा कर रखा है. उनके कंपोज किए गाने को सुनते ही फैंस सचिन देव बर्मन (Sachin Dev Burman) को याद करने लगते हैं.


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किसी भी भारतीय फिल्म को सफल बनाने में फिल्म की कहानी, एक्टिंग के साथ ही साथ जो सबसे अधिक अहम चीज है वह संगीत (Music) है. एक तरह से देखा जाए तो हिंदी सिनेमा के लिए तो संगीत किसी वरदान की तरह है. भारतीय सिनेमा में गानों को इस मुकाम तक पहुंचाने में जिसका सर्वाधिक योगदान है, उनमें से एक सचिन देव वर्मन भी हैं. 


आज सचिन देव वर्मन (Sachin Dev Burman Birthday) का बर्थडे है. देश और दुनिया भर में फैले उनके फैंस इस खास दिन पर अपने प्रिय कलाकार को याद कर रहे हैं. ऐसे में यहां उनसे जुड़े कुछ अहम किस्से को जानते हैं. 


एसडी बर्मन और चप्पल से प्यार का किस्सा
एसडी बर्मन को लेकर एक किस्सा काफी प्रचलित है. दरअसल, मंदिर में घुसने से पहले सचिन देव बर्मन साहब जूते या चप्‍पल की जोड़ी एकसाथ नहीं रखते थे. वह एक चप्‍पल कहीं तो दूसरी चप्‍पल कहीं और रखते थे. जब उनसे किसी ने इसके बारे में पूछा तो उन्‍होंने जवाब दिया कि आजकल चप्‍पल चोरी की वारदात बढ़ गई हैं. इस पर उनके साथी ने पूछा कि यदि चोर ने चप्‍पल के ढेर में से दूसरी चप्‍पल भी निकाल ली तो? इस पर एसडी बर्मन ने जवाब दिया कि यदि चोर इतनी मेहनत करता है, तो वह वाकई इसे पाने का हकदार है. इस जवाब को सुनकर सवाल पूछने वाले भी हैरान रह गए थे.


एक रुपया के लिए साहिर से हुई अनबन!
एसडी बर्मन और साहिर लुधियानवी के बीच अनबन के किस्सा की भी खूब चर्चा है. गुरु दत्त फिल्म 'प्यासा' बना रहे थे. इसी दौरान साहिर और एसडी बर्मन में अनबन हो गई. इस झगड़े की वजह था गाने का क्रेडिट उसके गीतकार को या संगीतकार को ज्यादा मिलना चाहिए. एक इंटरव्यू में एसडी बर्मन के जीवन पर किताब लिखने वाली लेखिका सत्या सरन ने इस विवाद के बारे में बात की थी. इस मामले में झगड़ा इस हद तक बढ़ा कि साहिर, सचिनदेव बर्मन से एक रुपया अधिक फीस चाहते थे. इस जिद के पीछे साहिर का तर्क ये था कि एसडी के संगीत की लोकप्रियता में उनका बराबर का हाथ था. सचिनदेव बर्मन ने साहिर की शर्त को मानने से इंकार कर दिया और फिर दोनों ने कभी साथ काम नहीं किया.'


फुटबॉल से कुछ इस तरह प्यार करते थे एसडी बर्मन
एसडी बर्मन सिर्फ संगीत से नहीं बल्कि खेल से भी बराबरी से प्यार करते थे. उनके बारे में एक बात काफी प्रचलित है कि वह फुटबॉल खेल को काफी पसंद करते थे. फुटबॉल में एक बार बर्मन मोहन बगान की टीम का समर्थन कर रहे थे और यह टीम हार गई. इसके बाद उस रोज गुरुदत्त से एसडी बर्मन ने कहा कि आज खुशी वाले तो नहीं बना सकते चाहो तो दुख वाले गीत ही बनवा लो. इससे पता चलता है कि एसडी बर्मन फुटबॉल से किस हद तक प्यार करते थे. 


जब बेटे ने ही लगाया गाना के धुन चुराने का आरोप
देवानंद की फिल्म फंटूश के एक गाने को सुनने के बाद एसडी बर्मन के बेटे आरडी बर्मन हैरान रह गए थे. इस हैरानी की वजह यह थी कि वह गाना आरडी ने कंपोज किया था जबकि वह एसडी बर्मन के नाम पर चल रहा था. इसके बाद पत्र लिखकर आरडी बर्मन ने पिता पर इस गाने की धुन को चुराने का आरोप लगाया था. इसके जवाब में पिता ने कहा कि उन्होंने जानकर ऐसा किया है, ताकि दुनिया को यह पता चले कि मेरा बेटा भी शानदार धुनें बना सकता है. 


इस फिल्म में काम करने से एसडी बर्मन ने किया था इनकार
देव आनंद ने अपनी फिल्म 'हरे कृष्णा हरे राम' के लिए एसडी बर्मन से संपर्क किया और कहा कि आप फिल्म में ट्रेडीशनल गानों को कंपोज कर दें और मॉडर्न गाने को आरडी बर्मन कंपोज कर देंगे. यह सुनकर इस फिल्म में काम करने से एसडी बर्मन ने इनकार कर दिया. इसके बाद पहली बार एसडी साहब के ठुकराये फिल्म में गाने को उनके बेटे ने कंपोज किया था. 


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