नई दिल्लीः वह टीवी का स्वर्णिम काल था, लोग अपने मनपसंद सीरियल को देखते और उसके कलाकारों को याद कर लेते. धार्मिक सीरियलों की शुरुआत हो चुकी थी. रामानंद सागर रामायण बनाकर बाजी मार ले गए थे. इसके बाद बी आर चोपड़ा भी टीवी के पर्दे पर उतरे और महाभारत ले आए.


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खैर, इसमें कोई शक नहीं कि दोनों ही टीवी सीरियलों ने प्रसिद्धि के मामले में हर रिकॉर्ड को बनाया, और ऐसा बनाया कि उन्हें कभी तोड़ा नहीं जा सका. इनके कलाकार घर-घर में पूजे गए. लॉकडाउन में रामायण दिखाई गई और अब उसका समापन हो रहा है. इसके बाद श्रीकृष्णा दिखाया जाएगा. 


केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट करके दी सूचना
दूरदर्शन नेशनल चैनल पर अब तीन मई से श्रीकृष्णा का प्रसारण शुरू होगा. श्री कृष्ण की महिमा पर आधारित इस धारावाहिक का प्रसारण रोज रात नौ बजे से होगा. यह जानकारी केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दी है. उन्होंने शनिवार को ट्वीट कर कहा, " कल, रविवार 3 मई से रोज रात 9 बजे देखें. दूरदर्शन ने भी ट्वीट किया है.



भगवान श्री कृष्ण के महिमा की कथा श्री कृष्णा, केवल डीडी नेशनल चैनल पर. जरूर देखें. दरअसल, रामायण और उत्तर रामायण के दोबारा प्रसारण के बाद अब श्री कृष्णा धारावाहिक भी दिखाने का निर्णय दूरदर्शन ने लिया है. 



फिर महाभारत के श्रीकृष्ण को मिली टक्कर
बीआर चोपड़ा ने महाभारत बनाई तो उसमें नीतीश भारद्वाज ने श्री कृष्ण के किरदार को बखूबी निभाया. उनकी शैली में जैसे साक्षात कृष्ण ही उतर आए थे. वही मोहिनी मुस्कान, चुहल बाजी, वृंदावन में प्रेम तो कुरुक्षेत्र में क्रोध, सहज ही झलकता था. कुलमिलाकर उन्होंने पुराणों में कृष्ण की जैसी व्याख्या की गई है, उसके पॉइंट का काफी हद तक छुआ था.


लेकिन रामानंद सागर 1993 में श्रीकृष्णा ले आए. इसमें उन्होंने लंबे समय तक कृष्ण की बाल व किशोर छवि को दिखाया. स्वप्निल जोशी इस किरदार में फेमस हो गए. बाल कृष्ण समझे जाने लगे. नीतीश भारद्वाज की प्रसिद्धि को टक्कर मिलने लगी थी. 


फिर कृष्ण बनकर आए सर्वदमन डी बनर्जी
श्रीकृष्ण के कृष्ण बड़े हुए तो सर्वदमन डी बनर्जी ने इस किरदार को जिया और वे भी बड़ी जल्दी ही प्रसिद्ध हो गए. अब नीतीश भारद्वाज को असली टक्कर मिलने लगी थी. सर्वदमन डी बनर्जी ने भी प्रसिद्धि के झंडे गाड़ दिए, सीरियल चला भी काफी ज्यादा. कहते हैं कि रामानंद सागर भी उन्हें कृष्णा कहकर बुलाते थे.


हालांकि कुछ आलोचक उनके अभिनय को अभिनय ही करार देते थे, जबकि नीतीश भारद्वाज के किरदार को सटीक बताते थे. लेकिन जनता जनार्दन ने अलग-अलग समय में आए दोनों ही कृष्ण को सिर-माथे बैठाया.


जारी रही कलाकारों के बीच की प्रतिस्पर्धा
सागरण आर्ट्स ने रामायण बनाई, बीआर टीवी ने महाभारत. इसके बाद सागर आर्ट ने श्रीकृष्णा बनाकर महाभारत सामने रख दी तो बीआर चोपड़ा ने फिर रामायण पर काम किया. उन्होंने 2001 में नीतीश भारद्वाज को राम बनाया और तब की चोटी की टीवी अभिनेत्री स्मृति ईरानी (आज केंद्रीय मंत्री) सीता बनकर सामने आईं.



महाभारत के गुरु द्रोण इस बार रावण बने थे तो गजेंद्र चौहान के हिस्से दशरथ का किरदार आया था. खैर, यह बताने की जरूरत नहीं कि चोपड़ा कैंप से निकली यह रामायण दर्शकों के बीच सागर कैंप से निकली रामायण जैसी जगह नहीं बना सकी. इसका प्रमाण है कि इसे याद भी नहीं किया जाता. 


दोनों कृष्ण में भी है थोड़ा बहुत विरोध?
सागर कैंप के कृष्ण और चोपड़ा कैंप के कृष्ण में भी विरोध जारी रहा. खैर, कलाकारों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा तो रहती ही है, लेकिन दोनों ही अपने-अपने कृष्ण के किरदार को अधिक जीवंत बताते आए हैं. बताते हैं कि मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान सागर कैंप के कृष्ण सर्वदमन डी बनर्जी का सम्मान हो रहा था.



इस दौरान किसी ने उनसे नीतीश भारद्वाज के किरदार के बारे में पूछ लिया. सर्वदमन बोले –“कौन से कृष्ण? वही जिसे दुनिया भर में फैले कृष्ण भक्तों में से किसी ने नहीं पूछा, चार देशों में मेरा सीरियल दिखाया जाएगा. मैंने तो दुनिया में धूम मचा दी.”


नीतीश भारद्वाज ने कही यह बात
उड़ते हुए यह खबर चोपड़ा कैंप वाले कृष्ण यानी नीतिश भारद्वाज तक पहुंची तो उन्होंने कहा कि ‘जिनसे घर में दिया नहीं जला, वे मस्जिद उजागर करने के दावे कर रहे हैं. किसी हिंदुस्तानी से पूछते, कोई पहचानता है इन्हें?’ हालांकि जी मीडिया इन बातों की सत्यता का दावा नहीं करता, ये गॉसिप भी हो सकती हैं. फिर भी इसमें दोराय नहीं कि कलाकारों में प्रतिस्पर्धा और उन्नीस-बीस लगा ही रहता है. 


पिछले दिनों झलकी थी अरुण गोविल की निराशा
राम के किरदार में अमर हो गए अरुण गोविल लॉकडाउन के कारण एक बार फिर चर्चा में हैं. इस बीच उनका एक ट्वीट आया था, जिसमें उन्होंने कभी कोई सम्मान न मिलने की बात कही थी. हालांकि उन्होंने इस बारे में साफ-साफ नहीं कहा था, बल्कि एक सवाल के जवाब में उन्होंने ट्वीट किया था कि इस प्रसिद्ध टीवी शो के लिए मुझे कोई सम्मान या पुरस्कार नहीं दिया गया.



रावण बने अरविंद त्रिवेदी ने भी इस पक्ष में प्रतिक्रया दी थी.