नई दिल्ली.  सुशांत मर्डर मामले में सीबीआई की जांच बहुत प्रभावी नजर आ रही है. और ऐसा लग रहा है कि अधिकतम इस हफ्ते के आखिर तक शायद इस रहस्य से पर्दा उठ जाये और सारी दुनिया को पता चल जाये कि सुशांत को किसने मारा और किस तरह मारा और क्यों मारा?  इस अहम जांच में इन चार बिन्दुओं पर भी यदि गौर किया जाये तो हत्या की इस गुत्थी को सुलझाने में मदद हासिल हो सकती है.    


मोन्ट ब्लैंक का चयन क्या इसीलिये?


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हालात पर गौर करने से एक बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या सुशांत को मोन्ट ब्लैन्क बिल्डिंग में रहने के लिये इसलिये ही लाया गया था? क्या सुशांत की मौत की स्क्रिप्ट काफी पहले ही लिख ली गई थी जिसके मुताबिक़ इसमें रिया और उसके बाद सिद्धार्थ को प्लांट किया गया और फिर रिया ने जानबूझ कर जिद करके सुशांत को इस पुरानी बिल्डिंग में शिफ्ट कराया ताकि यहां आने वाले दिननों में जो-जो कुछ हो वह दुनिया की नज़र से बचाया जा सके. सवाल तो ये भी है कि क्या इस स्क्रिप्ट में ये भी लिखा था कि इस बिल्डिंग में ही सुशांत को छह माह से लेकर साल भर के भीतर खत्म किया जाना है?


सुशांत की बहन की खामोशी का राज़?


सुशांत की बहन की खामोशी का राज़ आखिर क्या है? सुशांत के ही नेबरहुड में कुछ दूरी पर रहने वाली उनकी बहन मीतू सिंह चुप क्यों हैं? उनकी रहस्यमय खामोशी मांग करती है कि उनसे पता किया जाये कि क्या उनको किसी तरह की कोई  धमकी मिली है  शायद इसलिए वो कुछ भी नहीं बोल रही हैं और बिलकुल खामोश हो गई हैं?


सुशांत के पड़ौस का सुराग बहुत अहम है


सुशांत के पड़ौस में रहने वाली वह महिला जिसने आगे बढ़ कर बयान दिया है और बताया है कि कि मर्डर से पिछली रात  सुशांत के घर की लाइट जल्दी बंद हो गई थी, उस महिला से दुबारा बात करनी जरूरी दिख रहा है. इसका कारण ये है कि सुशांत मर्डर में शामिल बड़े लोग उस महिला से अवश्य ही संपर्क करेंगे या दूसरे शब्दों में कहें, इस महिला को फोन पर धमकियां मिल रही हो सकती हैं. इन धमकियों से डर कर यह महिला बहाना करके अपना बयान वापस भी ले सकती है और सीबीआई के सामने या कोर्ट में जाने से बच सकती है. इस महिला को आने वाला धमकी वाले फोन कॉल्स मर्डर के संदेह को और पुष्ट कर सकते हैं.


संदीप का संकेत- ‘‘ऑल इज़ वेल, मैं आ गया हूं’’


सुशांत मर्डर के दिन संदीप सिंह को देखा गया कि उसने अपने आने के दौरान हाथ हिला कर किसी को ऐसा संकेत किया जैसे कि वह कह रहा हो कि – चिन्ता की कोई बात नहीं, अब मैं आ गया हूं. अचानक संदीप का सुबह सुशांत के घर पहुंच जाना और दिन में उस शवगृह पर पहुंच जाना जहां सुशांत का शव रखा गया था,  काफी कुछ बताहता है. संदीप न सुशांत के साथ रहता था न ही उसे किसी ने बुलाया था – ऐसी हालत में उसका इस तरह की भूमिका में अचानक सक्रिय नजर आना किसी गहरे रहस्य की तरफ इशारा कर रहा है.


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