नई दिल्ली: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विशेष न्यायाधीश (सांसद-विधायक अदालत, गाजीपुर) के उस आदेश को बुधवार को दरकिनार कर दिया जिसमें बांदा जेल में बंद माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी को श्रेष्ठ वर्ग प्रदान करने का निर्देश जिला जेल अधीक्षक को दिया गया था.


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मुख्तार अंसारी को अदालत ने बताया दुर्दांत अपराधी
विशेष न्यायाधीश ने 15 मार्च, 2022 को जारी अपने आदेश में बांदा जिला जेल के अधीक्षक को यह निर्देश दिया था. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 482 के तहत दायर याचिका स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने कहा, 'आरोपी मुख्तार अंसारी चैप्टर 16 के तहत अपराधों के लिए मुकदमा लड़ रहा है और यदि ऐसा व्यक्ति चैप्टर 16 के तहत अपराधों का आरोपी है तो सामान्य रूप से उसके लिए श्रेष्ठ वर्ग की सिफारिश नहीं की जानी चाहिए.'


अदालत ने कहा, 'आरोपी मुख्तार अंसारी एक कुख्यात गैंगस्टर, दुर्दांत अपराधी और बाहुबली है और उसके खिलाफ 58 आपराधिक मामले दर्ज हैं. इन तथ्यों और कानूनी स्थिति को ध्यान में रखते हुए मेरा विचार है कि मौजूदा याचिका में उक्त आदेश ना केवल न्यायिक अधिकार क्षेत्र के बाहर का है, बल्कि यह टिकने योग्य नहीं है. इसलिए इसे दरकिनार किया जाता है.'


किस वजह से श्रेष्ठ वर्ग के लिए पात्र नहीं है मुख्तार अंसारी?
इससे पूर्व, राज्य सरकार के वकील ने दलील दी थी कि निचली अदालत द्वारा पारित आदेश उसके अधिकार क्षेत्र से परे है क्योंकि अदालत के पास एक बंदी को श्रेष्ठ वर्ग प्रदान करने की सिफारिश करने का अधिकार है और श्रेष्ठ वर्ग प्रदान करने या ना करने का अंतिम अधिकार राज्य सरकार में निहित है.


उन्होंने आगे अपनी दलील में कहा था कि आरोपी मुख्तार अंसारी के लंबे आपराधिक इतिहास को देखते हुए वह श्रेष्ठ वर्ग के लिए पात्र नहीं है.


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