नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस साल अपने विधि स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए अपनाए गए 'सीट पैटर्न आवंटन' में मनमानी का आरोप लगाने वाली एक याचिका पर दिल्ली विश्वविद्यालय से जवाब मांगा है.


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हाईकोर्ट ने डीयू से किस लिए मांगा जवाब?
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि सामान्य श्रेणी की मेधा सूची में आने वाले छात्रों से ज्यादा अंक हासिल करने वाले आरक्षित वर्ग के छात्रों को सामान्य श्रेणी में नहीं डाला गया, जो 'आरक्षण की मूल भावना' के खिलाफ है और आरक्षित श्रेणी के ज्यादा छात्रों को दाखिला लेने से रोकती है.


एलएलबी प्रवेश परीक्षा में शामिल होने वाले याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि वह आरक्षित अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी)श्रेणी के तहत प्रवेश पाने के लिए 'अन्य प्रकार से पात्र' था, लेकिन इस तरह के सीट आवंटन के कारण वह दाखिला लेने में असमर्थ था.


23 जनवरी को होगी मामले की अगली सुनवाई
न्यायमूर्ति विकास महाजन ने हाल में दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) को नोटिस जारी कर उसे जवाब दाखिल करने के लिये समय दिया. अदालत ने कहा कि आरक्षित श्रेणियों के तहत एलएलबी कोर्स में 21 दिसंबर के बाद किया गया कोई भी प्रवेश याचिका के परिणाम के अधीन होगा. इस मामले में अगली सुनवाई 23 जनवरी को होगी.
(इनपुट: भाषा)


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