नई दिल्ली: इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) की लखनऊ पीठ ने जेलर को जान से मारने की धमकी देने के मामले में पूर्व बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को बुधवार को दोषी करार देते हुए सात साल कैद और 37 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.


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किस गुनाह के लिए मिली मुख्तार को सजा?
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की अपील को मंजूर करते हुए पारित किया. गौरतलब है कि 2003 में लखनऊ कारागार के तत्कालीन जेलर एसके अवस्थी ने आलमबाग थाने में अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि जेल में मुख्तार अंसारी से मिलने आए लोगों की तलाशी लेने का आदेश देने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई थी.


एसके अवस्थी ने यह भी आरोप लगाया था कि अंसारी ने उनसे गाली गलौज करते हुए उन पर पिस्तौल भी तान दी थी. इस मामले में निचली अदालत ने अंसारी को बरी कर दिया था, जिसके खिलाफ सरकार ने अपील दाखिल की थी.


हत्या, अपहरण, फिरौती और दंगा..
मुख्तार अंसारी एक ऐसा अपराधी है, जिसके गुनाहों की एक-एक दास्तां जानकर लोग एक समय उससे थर्राते थे. पूर्वांचल पर उसके खौफ से हर कोई परेशान था. मुख्तार ने हत्या, अपहरण, फिरौती और दंगा.. के बाद राजनीति में कदम रखा और जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया.


हत्या, अपहरण, फिरौती, गैंगस्टर एक्ट और दंगा.. मुख्तार अंसारी पर दर्ज 45 मुकदमों में से ये कुछ संगीन इल्जाम हैं. इनके अलावा भी कई गंभीर आपराधिक मुकदमे उसके खिलाफ दर्ज हैं. मुख्तार अंसारी का नाम तब ज्यादा सुर्खियों में आया था, जब 2005 में बीजेपी के पूर्व विधायक कृष्णानंद राय की हत्या हुई थी.


2005 से मुख्तार जेल में बंद है, लेकिन जेल से रहकर ही हर बार चुनाव लड़ता रहा और जीतता रहा, हालांकि इस बार उसके बेटे अंबास अंसारी ने मऊ सीट से जीत विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की है. फिलहाल मुख्तार के गुनाहों का हिसाब एक-एक करके लगातार हो रहा है.


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